ई-सिगरेटों के निषेध से बढ़ते बच्चों और युवाओं को ई-सिगरेटों के जोखिम से बचाने में मिलेगी मदद


इलेक्‍ट्रॉनिक सिगरेट बैटरी-युक्‍त उपकरण है, जो निकोटिन वाले घोल को गर्म करके एयरोसोल पैदा करता है। एयरोसोल, सामान्‍य सिगरेटों में एक व्‍यसनकारी पदार्थ है। इनमें सभी प्रकार के इलेक्‍ट्रॉनिक निकोटिन डिलिवरी सिस्‍टम, जलाने नहीं, गर्म होने वाले (हिट नॉट बर्न) उत्‍पाद, ई-हुक्‍का और इस प्रकार के अन्‍य उपकरण शामिल हैं।


ऐसे नए उत्‍पाद आकर्षक रूपों तथा विविध सुगंधों से युक्‍त होते हैं, इसलिये इसका इस्‍तेमाल काफी बढ़ा है। विकसित देशों में  विशेषकर युवाओं और बच्‍चों में इसने एक महामारी का रूप ले लिया है। जिसे देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इलेक्‍ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अध्‍यादेश, 2019 की घोषणा को अपनी मंजूरी दे दी है।


इस अध्यादेश के लागू होने से सरकार द्वारा तंबाकू नियंत्रण के प्रयासों को बल मिलेगा और तंबाकू के इस्‍तेमाल में कमी लाने में मदद मिलेगी, साथ ही इससे जुड़़े आर्थिक बोझ और बीमारियों में भी कमी आएगी।


अध्‍यादेश की घोषणा के बाद, ई-सिगरेटों का किसी प्रकार उत्‍पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय (ऑनलाइन विक्रय सहित), वितरण अथवा विज्ञापन (ऑनलाइन विज्ञापन सहित) एक संज्ञेय अपराध माना जायेगा और पहली बार अपराध के मामले में एक वर्ष तक कैद अथवा एक लाख रुपए तक जुर्माना अथवा दोनों और अगले अपराध के लिए तीन वर्ष तक कैद और पांच लाख रुपए तक जुर्माना लगाया जा सकता है।


इलेक्‍ट्रॉनिक सिगरेटों के भंडारण के लिए भी छह माह तक कैद अथवा 50 हजार रुपए तक जुर्माना अथवा दोनों दंड दिए जा सकते हैं।    


देश में पहले ही 16 राज्‍यों और एक केंद्र शासित प्रदेश ने अपने क्षेत्राधिकारों में ई-सिगरेटों को प्रतिबंधित किया है। गौरतलब है कि इस विषय पर हाल में जारी एक श्‍वेत-पत्र में भारतीय चिकित्‍सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने भी फिलहाल उपलब्‍ध वैज्ञानिक साक्ष्‍य के आधार पर ई-सिगरेटों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने की अनुशंसा की है।


विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने भी सदस्‍य देशों से मांग की है कि इन उत्‍पादों को प्रतिबंधित करने सहित समुचित उपाय किए जाएं।


 सामान्‍य तौर पर पारंपरिक सिगरेटों के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित विकल्‍पों के रूप में इन उत्‍पादों को बाजार में लाया जाता है, किन्‍तु इस प्रकार सुरक्षा के दावे सही नहीं हैं।


इस उद्योग के द्वारा सामान्‍य रूप से ई-सिगरेटों को धूम्रपान निवारण उपकरणों के रूप में बढ़ावा दिया जाता है, किन्‍तु एक निवारण उपकरण के रूप में उनकी क्षमता को अब तक सत्‍यापित नहीं किया गया है।


 


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