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Showing posts from March, 2021

क्या निरंतर हो रहा है विधानमंडलों में गरिमा का हनन ?

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  डॉ.समरेन्द्र पाठक वरिष्ठ पत्रकार।   नयी दिल्ली , ( एजेंसी) गणतंत्र की जननी बिहार विधान सभा में हाल में हुयी हिंसक घटनाओं से न सिर्फ लोकतंत्र शर्मसार हुआ है , वल्कि दक्षिण एवं अन्य राज्यों में पिछले दशकों में विधानमंडलों में हुयी हिंसक घटनाओं की याद को एक बार फिर ताजा कर दिया है।   लोकतंत्र के मंदिर लोक सभा , राज्य सभा , विधान सभा एवं विधान परिषदों को सरकार के गठन , बहस , चर्चाएं , टिका- टिप्पणी , सवाल-जवाब , विधि निर्माण एवं अन्य विधायी कार्यों के लिए जाना जाता है , लेकिन इस क्रम में हिंसा की घटनाएं इसे कलंकित करती है।   बिहार विधान सभा में हाल में हुयी घटना भी शर्मसार करने वाली है और इसे लोकतंत्र की मजबूती के लिए जायज नहीं ठहराया जा सकता है। हालांकि ऐसी कई घटनाएं अतीत में अन्य राज्यों में हुयी है।   राज्य विधानमंडलों में ऐसी घटनाओं की शुरुआत तीन दशक पहले तमिलनाडु से हुई। पहली जनवरी 1988 को तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जानकी रामचंद्रन को विश्वास मत हासिल करने के लिए विशेष सत्र बुलाया था। वह अपने पति एमजीआर के निधन के बाद राज्य की मुख्यमंत्री बनीं थीं , लेकिन ज्यादातर विधायक   जयलल

हाथियों और मनुष्यों के बीच टकराव को रोकने के लिये मधुमक्खियां बनी सहारा

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  भारत में हाथी के हमलों के कारण हर साल लगभग  500  लोग मारे जाते हैं। यह देश भर में बड़ी बिल्लियों की वजह से हुए घातक हमलों से लगभग  10  गुना अधिक है।  2015  से  2020  तक ,  हाथियों के हमलों में लगभग  2500  लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इसमें से अकेले कर्नाटक में लगभग  170  मानवीय मौतें हुई हैं। इसके विपरीत ,  इस संख्या का लगभग पांचवां हिस्सा ,  यानी पिछले  5  वर्षों में मनुष्यों द्वारा प्रतिशोध में लगभग  500  हाथियों की भी मौत हो चुकी है। जिसे देखते हुए  खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने देश में मानव-हाथी टकरावको कम करने के लिए "मधुमक्खी-बाड़" बनाने की एक अनूठी परियोजना को शुरू किया है।। प्रोजेक्ट री-हैब (मधुमक्खियों के माध्यम से हाथी-मानव हमलों को कम करनेकी परियोजना) का उद्देश्य शहद वाली मधुमक्खियों का उपयोग करके मानव बस्तियों में हाथियों के हमलों को विफल करना है और इस प्रकार से मनुष्य व हाथी दोनों के जीवन की हानि को कम से कम करना है।    15 मार्च 2021 को खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना द्वारा   कर्नाटक के कोडागु जिले के चेलूर गांव के आसपास चार स्थ

मुख्यमंत्री कन्या योजना के तहत सरकार द्वारा कन्या के बैंक खाते में दी जाती है 30,000 रूपए की सहयोग राशि

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सुकांति साहू, जमशेदपुर   केन्द्र एवं राज्य सरकार की तमाम योजनाएं जरूरतमंदों एवं सामाजिक हित के लिये बनी हैं , मगर कई बार लोगों तक इन योजनाओं की जानकारी नहीं होती जिससे वे उनके लाभ एवं सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं। वहीं थोड़ी सी जानकारी एवं जागरूकता से   रास्ते सुलभ हो जाते हैं। यहां बात झारखंड में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना की है , जिसका सहयोग लेकर गंगा मनी मल्लिक ने अपने माता - पिता का आर्थिक बोझ कम कर दिया। दरअसल , चाकुलिया प्रखंड की गंगा मनी मल्लिक की शादी आदर्श तरीके से होनी निश्चित हुई थी , फिर भी शादी समारोह के अतिरिक्त खर्च उनके पिता पर आर्थिक दबाव डाल रहे थे। उस वक्त गंगा मे अपने पिता की आर्थिक मदद करने की ठानी और सेविका दीदी से मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के बारे में जानकारी लेकर मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत आवेदन किया।   इस आवेदन के बाद 30,000 की राशि प्राप्त हुई । इस बारे में गंगा कहती है कि इस आर्थिक सहयोग से मेरे परिजनों पर म