क्या निरंतर हो रहा है विधानमंडलों में गरिमा का हनन ?
डॉ.समरेन्द्र पाठक वरिष्ठ पत्रकार। नयी दिल्ली , ( एजेंसी) गणतंत्र की जननी बिहार विधान सभा में हाल में हुयी हिंसक घटनाओं से न सिर्फ लोकतंत्र शर्मसार हुआ है , वल्कि दक्षिण एवं अन्य राज्यों में पिछले दशकों में विधानमंडलों में हुयी हिंसक घटनाओं की याद को एक बार फिर ताजा कर दिया है। लोकतंत्र के मंदिर लोक सभा , राज्य सभा , विधान सभा एवं विधान परिषदों को सरकार के गठन , बहस , चर्चाएं , टिका- टिप्पणी , सवाल-जवाब , विधि निर्माण एवं अन्य विधायी कार्यों के लिए जाना जाता है , लेकिन इस क्रम में हिंसा की घटनाएं इसे कलंकित करती है। बिहार विधान सभा में हाल में हुयी घटना भी शर्मसार करने वाली है और इसे लोकतंत्र की मजबूती के लिए जायज नहीं ठहराया जा सकता है। हालांकि ऐसी कई घटनाएं अतीत में अन्य राज्यों में हुयी है। राज्य विधानमंडलों में ऐसी घटनाओं की शुरुआत तीन दशक पहले तमिलनाडु से हुई। पहली जनवरी 1988 को तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जानकी रामचंद्रन को विश्वास मत हासिल करने के लिए विशेष सत्र बुलाया था। वह अपने पति एमजीआर के निधन के बाद राज्य की मुख्यमंत्री बनीं थीं , लेकिन ज्यादातर विधायक जयलल