मल्लखम्भ में राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर नाम रौशन कर रहे हैं नारायणपुर के प्रतिभावान खिलाड़ी।

 


मीमांसा डेस्क,

 नारायणपुर, छत्तीसगढ़। 

पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब, जमाना बदलने के साथ ही यह कहावत भी गलत साबित हो रही है। पढ़ाई-लिखाई जिन्दगी में ज्ञान और सलीका सिखाने का काम करती है, तो वहीं खेल-कूद अच्छे स्वास्थ्य के साथ अच्छा भविष्य भी बना सकती है। यह पिछले कई अरसे से साबित होती आ रही है। यही वजह है कि सरकारें भी इस दिशा में बढ़ने वाले बच्चों को प्रोत्साहित करने व उभारने के लिये प्रयास कर रही हैं। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के  नारायणपुर जिले के ओरछा ( अबूझमाड़ ) के छोटे से गांव आसनार निवासी 12 वर्षीय मानु ध्रुव अपनी असाधारण प्रतिभा से मलखंब में राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर नाम रोशन कर रहे हैं। मानु ने मल्लखंब जूनियर प्रतियोगिता में व्यक्तिगत श्रेणी में अब तक राष्ट्रीय स्तर पर 1 गोल्ड एवं राज्य स्तर पर 2 गोल्ड मेडल हासिल किये हैं। इसके साथ ही पूरी टीम को राष्ट्रीय स्तर पर 1 गोल्ड प्राप्त हुआ हैं।

गौरतलब है कि मानु ध्रुव के पिता केराम ध्रुव अबूझमाड़ ओरछा के ग्राम आसनार में ही रहते हैं। इनके पिता खेती-किसानी करते हैं और मां दिहाड़ी मजदूरी करती है, जिससे घर-परिवार का पालन-पोषण हो रहा है। इतनी विषम परिस्थितियां होने के बावजूद मानु ध्रुव में खेल के प्रति लगन कम नहीं हुई और लगातार अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते आ रहे हैं।
 



   मानु ध्रुव के मलखम्भ से जुड़ने के संबंध में प्रशिक्षक मनोज प्रसाद ने बताया कि वह 12 वर्ष का है। जिला स्तरीय कार्यक्रम में मानु ने मलखम्ब खेल को देखा था। छोटे-छोटे बच्चों को मलखंब करते देख उसके मन में भी इस खेल के प्रति रूची जागृत हुई। प्रशिक्षक ने बताया कि जब वह देवगांव के पोटा केबिन में बच्चों का चयन करने गये तब मानु ध्रुव में इस खेल के प्रति लगाव को देखा, जिसके बाद उसे प्रशिक्षण दे रहे हैं। प्रशिक्षक के अनुसार मानु लगातार निपुणता हासिल करते हुए नारायणपुर जिले का नाम रोशन कर रहा है। विभिन्न प्रतियोगिताओं में उसने कई प्रमाण पत्र एवं पदक हासिल किये हैं। उसका मल्लखंब से इतना जुड़ाव हो गया है कि उसने अपने साथ आसपास के बच्चो को भी मल्लखंब से जोड़ा है।

मानु ध्रुव की प्रतिभा और हासिल पदकों के कारण भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) द्वारा 10 हजार रूपये प्रतिमाह की छात्रवृत्ति दी जा रही है। मल्लखंभ के प्रशिक्षक मनोज प्रसाद द्वारा वर्ष 2017 से क्षेत्र के बच्चों को विशेष अभ्यास कराया जा रहा है, जिससे यहां के बच्चे अन्य राज्यों में जाकर मल्लखंभ का बेहतरीन प्रदर्शन कर अपने जिले एवं राज्य का नाम रौशन कर रहे हैं।


जिला प्रशासन द्वारा मल्लखम्भ खेल को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिभागियों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। इसके अभ्यास के लिये आवश्यक सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। मल्लखंम्भ प्रशिक्षण हेतु 14 लाख 45 हजार की राशि तथा 6 लाख रुपये खेल सामग्री हेतु प्रदान किया गया है। प्रशिक्षण केन्द्र में कुल 120 खिलाड़ी पंजीकृत है, जिसमें लगभग 70 खिलाड़ी नियमित प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। जिनमें 40 बालक एवं 30 बालिका शामिल है।

अब तक इस प्रशिक्षण केन्द्र से लगभग 40 प्रतिभागियों द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर राज्य का प्रतिनिधित्व किया गया है। 32वीं राष्ट्रीय मल्लखम्भ चैम्पियनषिप बिलासपुर में जिले के मल्लखंभ खिलाड़ियों ने 8 स्वर्ण पदक एवं 3 कास्य पदक प्राप्त कर चुके हैं। जिले के मल्लखम्भ खिलाड़ी दिल्ली, मुंबई, गुजरात, गोवा एवं तमिलनाडू में भी अपना प्रदर्शन दिखा चुके हैं। अपने नारायणपुर प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री भूपेष बघेल ने मल्लखंभ के खिलाड़ियों के प्रदर्शन को देखकर उसकी प्रशंसा अपने मासिक रेडियो वार्ता में भी किया था।

 

Popular posts from this blog

मुखिया बनते ही आन्ति सामाड ने पंचायत में सरकारी योजनाओं के लिये लगाया शिविर

झारखंड हमेशा से वीरों और शहीदों की भूमि रही है- हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री झारखंड

समय की मांग है कि जड़ से जुड़कर रहा जाय- भुमिहार महिला समाज।