एसडीजी चैपाल के राष्ट्रीय ब्रांड एम्बेसडर बने सामाजिक उद्यमी संजय राय शेरपुरिया।

मीमांसा डेस्क, नई  दिल्ली -   वैश्विक महामारी कोरोना संकट के दौरान जब पूरे देश में मानवता कराह रही थी तो जन भागीदारी से जन कल्याण के लिये किये गये अकल्पनीय सामाजिक कार्यों के लिये शनिवार को जाने-माने समाजसेवी और उद्यमी संजय राय शेरपुरिया का  राजधानी दिल्ली के इंदिरा गांधी कला केंद्र में सार्वजनिक अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर यूनाइटेड नेशन से जुड़ी एसडीजी चैपाल संस्था द्वारा संजय राय शेरपुरिया को इस समारोह में नेशनल ब्रांड एम्बेसडर घोषित करके सम्मान किया।

   इस अवसर पर अपने संक्षिप्त संबोधन में इंदिरा गांधी कला केंद्र के अध्यक्ष पद्मश्री राम बहादुर राय ने संजय राय को बधाई देते हुए कहा कि जिस तरह से उन्होंने कोरोना महामारी की दूसरी लहर के समय में गाजीपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में मानवता की सेवा की है वह सराहनीय है।

अतिथि विशेष नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कान्त ने संजय राय शेरपुरिया के सामाजिक कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि जब महामारी पूरे देश में अपने चरम पर थी और हर व्यक्ति अपने जीवन की सुरक्षा के बारे में चिंतित था, ऐसे समय में संजय राय ने गाजीपुर जिले के गांव-गांव जाकर लोगों की जान बचायी और यह सुनिश्चित किया कि मृतकों का अंतिम संस्कार सम्मान के साथ हो।

इस मौके  पर बोलते हुए संजय राय ने कहा कि एसडीजी चैपाल की तरफ से ब्रांड एम्बेसडर के रूप में नामित किये जाने पर वह स्वयं को गौरवांवित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह मेरा नहीं बल्कि मेरे साथ काम करने वाले उन लोगों का सम्मान है, जिन्होंने दिन-रात अथक परिश्रम करके समाजसेवा के इस काम में हाथ बंटाया। संजय राय ने कहा कि समाज और जनता की सेवा करना केवल राजनेताओं का ही काम नहीं है, बल्कि यह हम सबकी जिम्मेदारी है।

मुख्य अतिथि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष व उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश  चंद्रमौलिकुमार प्रसाद, विशिष्ट अतिथि राज्यसभा सांसद  सुरेश प्रभु, आईआईटी दिल्ली के प्रो. विवेक कुमार और हिंदुस्थान समाचार के कार्याध्यक्ष श्री अरविंद मार्डीकर ने भी संजय राय के व्यक्तित्व व उनके द्वारा चलाये जा रहे विभिन्न सामाजिक प्रकल्पों की भूरि-भूरि सराहना की।

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान जानकारी और सुविधाओं के अभाव के कारण लाखों परिवारों में बेचैनी तथा भागदौड़ की स्थिति बन गयी थी। लाॅकडाउन के कारण गांवों और कस्बों में पहुचना मुश्किल था। ऐसी भयावह स्थिति में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में आशा की एक किरण के रूप में श्री संजय राय शेरपुरिया ने मानवता को अपना धर्म माना। उन्होंने तन-मन-धन से मानवता की सेवा करने का संकल्प लिया। इसके बाद श्री संजय राय ने गाजीपुर जिले के 200 से ज्यादा संस्थाओं और व्यक्तियों को आॅक्सीजन काॅन्सेट्रेटर उपलब्ध करवाये, जिससे हजारों लोगों को असामयिक मृत्यु बचाया जा सका। इसके अलावा संजय राय ने गाजीपुर में एक एम्बुलेंस, एक टेलीमेडिसिन वाहन आवश्यक दवाओं, डाॅक्टरों और अनेक कार्यकर्ताओं की सुविधा उपलब्ध करवाई। 60 हजार से अधिक परिवरों को घर-घर जाकर मास्क और दवायें पहुंचाई गयीं।

इतना ही नहीं जब उनको पता चला कि गरीबी के कारण लकड़ियों की कालाबाजारी हो रही है और लोग उनके गृह जनपद गाजीपुर में अपने मृत परिजनों के शवों का अंतिम संस्कार नहीं कर पा रहे हैं तो उनका दिल गहरी पीड़ा से भर उठा। उन्होंने एक पल में निश्चय किया कि मातृभूमि के इन लोगों के कष्ट को हर हाल में दूर करना है। इसके बाद उन्होंने प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं को अपने साथ जोड़कर 10 घाटों पर एक लकड़ी बैंक की व्यवस्था की। इससे गंगा नदी में शवों के सड़ने से होने वाला प्रदूषण तो रुका ही, मृतकों के परिजनों को भी भारी राहत मिली। आज उनके द्वारा शुरू किया गया यह लकड़ी बैंक देश-विदेश में चर्चा का विषय बन चुका है।

संजय राय शेरपुरिया ने कोरोना जैसे भयावह समय में मानवता के लिये जो अकल्पनीय एवं हृदयस्पर्शी कार्य किया, उसके पूरे विवरण के साथ गाजीपुर नागरिक अभिनंदन समिति, एसडीजी चैपाल और रोटरी क्लब इंटरनेशनल जैसे अनेक संस्थानों के सहयोंग से एक काॅफी टेबल बुक का प्रकाशन भी किया। आज के कार्यक्रम में इस बुक का विमोचन किया गया।

गाजीपुर के नवयुवकों और युवतियों को रोजगार और नौकरी की तलाश में बाहर न जाना पड़े और हर हाथ को काम मिले संजय राय ने इसके लिये भी अभिनव पहल की है। उन्होंने जिले के कई इलाकों में रोजगार मेलों का आयोजन करके प्रशिक्षण की शुरुआत की है।  

अपने गृह नगर गाजीपुर ही नहीं देश की राजधानी दिल्ली में भी संजय राय ने लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने में कई सराहनीय प्रयास किये हैं। जिस समय दिल्ली में कोरोना संकट शुरू हुआ और लोगों की परेशानी बढ़ने लगी तो उस समय पड़ोसी देश पाकिस्तान से आकर दिल्ली में बसे हिंदुओं पर दोहरी मार पड़ रही थी। एक तो अपने देश को छोड़ने का दर्द ऊपर से कोरोना संकट। ऐसे में उनके दर्द को देखकर समाजसेवी उद्यमी संजय राय शेरपुरिया का हृदय पीड़ा से भर उठा। अपने हृदय की आवाज को सुनकर संजय राय ने मजलिस पार्क मेट्रो स्टेशन के पास महाराणा प्रताप नगर की झुग्गी झोपड़ियों में अपनी गृहस्थी को नए सिरे से बसाने के लिए जूझ रहे इन पाकिस्तानी हिंदुओं के जीवन को आसान बनाने और सही तरीके से जिंदगी जीने के लिए सहायता उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया।

कुछ वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस पर बस्ती में आयोजित सेवा दिवस समारोह के दिन लिए गए इस संकल्प को जब कार्यरूप में देने का काम शुरू हुआ तो संजय राय अकेले थे। लेकिन धीरे धीरे कई लोग इस शुभ संकल्प से जुड़ते गए और देखते ही देखते पूरी बस्ती का कायाकल्प हो गया। 

आज इस बस्ती में संघ की तरफ से एक एकल विद्यालय चलाया जा रहा। सड़कें साफ सुथरी हो गई हैं। सड़कों के दोनों तरफ छायादार पेड़ लग चुके हैं। लोगों के शौचालय और स्नानागार की व्यवस्था हो गई है और एक जलशोधन संयंत्र के सहारे उन्हें पीने का शुद्ध पानी मिल रहा है। इन लोगों को रोजगार करके सम्मानजनक जीवनयापन हेतु ऋण की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। बस्ती के युवकों को क्रिकेट खेलने के लिए साधन उपलब्ध कराए गए हैं और कोरोना काल में जब उनकी रोजी रोटी पर संकट के बादल मंडराए तो उन्हें मुफ्त भोजन भी उपलब्ध कराया गया। संजय राय की इस पहल को दिल्ली राइडिंग क्लब, संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर काम करने वाली संस्था उस.डी.जी. चैपाल के अलावा विश्व हिंदू परिषद के कुछ साथियों का अमूल्य सहयोग व प्रोत्साहन मिला।


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