स्टील उद्योगों की ऑक्सीजन की आपूर्ति रुकने से होंगे लोगों के रोजगार प्रभावित, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की निर्णय पर पुनर्विचार की मांग
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री से अनुरोध करते हुए कहा है कि राज्य में इस्पात उद्योगों की अधिकता को देखते हुए औद्योगिक ऑक्सीजन के उत्पादन और उसके उपयोग की अनुमति दी जाए, जिससे अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव न पड़े और इन उद्योगों से जुड़े हज़ारों परिवारों के समक्ष रोज़गार क़ा संकट न उत्पन्न हो। कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच जिस तरह ऑक्सीजन की कमी लोगों की जान पर आफत बनकर आई, उसे दूर करने के लिये केन्द्र सरकार ने उद्योगों को ऑक्सीजन की आपूर्ति पर सोमवार से अगले आदेश तक के लिये रोक लगा दी है।
इसे लेकर मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि स्टील उद्योगों की ऑक्सीजन की आपूर्ति रुकने से हज़ारों लोगों का रोज़गार प्रभावित होगा , इसलिये निर्णय पर पुनर्विचार की जरूरत है। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में ऑक्सीजन उत्पादन के लिए आठ नई औद्योगिक इकाइयों को लाइसेंस जारी किए गए हैं। प्रदेश में कुल 29 यूनिटों द्वारा मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है।
राज्य की जरूरत के
बाद का अतिरिक्त ऑक्सीजन हम दूसरे राज्यों को भी दे रहे हैं। बघेल ने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों
के साथ कोरोना नियंत्रण की व्यवस्था और टीकाकरण की प्रगति की वर्चुअल समीक्षा बैठक
में अनुरोध करते हुए यह बात कही।
इस समीक्षा
बैठक में मुख्यमंत्री बघेल ने प्रधानमंत्री से कहा कि जिस तरह से ऑक्सीजन उत्पादक
राज्य अपनी जरूरत के बाद का अतिरिक्त आक्सीजन प्राथमिकता से दूसरे राज्यों को
उपलब्ध करा रहे हैं। वैसे ही रेडमेसिविर और अन्य जीवन रक्षक दवाइयों के उत्पादक
राज्य प्राथमिकता से इन्हें दूसरे राज्यों को भी उपलब्ध कराएं। इसके लिए भारत
सरकार द्वारा गाइडलाइन जारी किया जाना चाहिए।
इसके अलावा मुख्यमंत्री
भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से केंद्र सरकार को कोरोना के टीके मिलने
की दर पर ही राज्यों को भी टीका उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि
इससे राज्यों पर वित्तीय भार कम होगा। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य कर्मियों, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के टीकाकरण के लिए प्रदेश को
केंद्र सरकार से मिलने वाले वैक्सीन की आपूर्ति की समय सारणी से भी अवगत कराने का
आग्रह किया है, जिससे राज्य में सभी पात्र लोगों के टीकाकरण की कार्ययोजना बनाई जा सके।
सांसद
एवं विधायक निधि का कोविड नियंत्रण के उपायों में किया जा रहा है इस्तेमाल
कोरोना
टीकाकरण की प्रगति के बारे में मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को बताया कि प्रदेश की 18 प्रतिशत आबादी को इसकी पहली खुराक दी जा चुकी है।
उन्होंने जानकारी दी कि 90 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मियों, 84 प्रतिशत फ्रंटलाइन वर्कर्स और 45 वर्ष से अधिक के 69 प्रतिशत लोगों को कोरोना से बचाव का पहला टीका लगाया जा
चुका है। उन्होंने बताया कि दूसरे राज्यों से कोरोना संक्रमितों का प्रवेश रोकने
के लिए अंतर्राज्यीय सीमाओं, एयरपोर्ट, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशनों पर कोरोना की जांच की जा रही है।
मुख्यमंत्री बघेल ने बताया कि कोरोना मरीजों के इलाज के लिए अस्पतालों और कोविड केयर सेंटर्स में व्यवस्थाएं लगातार बढ़ाई जा रही हैं। निजी अस्पतालों में भी संक्रमितों के इलाज की दरें तय की गई हैं। चिकित्सा क्षेत्र में मानव संसाधन बढ़ाने के लिए सेवानिवृत्त डॉक्टरों और अन्य मेडिकल स्टाफ के साथ ही नए डॉक्टरों की भर्ती की जा रही है। रेडमेसिविर की कालाबाजारी रोकने और जरुरतमंदों तक इसे पहुंचाने के लिए व्यवस्था बनाई गई है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि चिकित्सा
विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों के साथ ही सभी नगरीय निकायों एवं पंचायतीराज संस्थाओं से
लगातार चर्चा कर कोरोना प्रबंधन में उनकी सहायता ली जा रही है। डीएमएफ, सीएसआर, सांसद निधि विधायक निधि और महापौर निधि की राशियों का भी उपयोग
कोविड-19 की रोकथाम के लिए व्यवस्थाएं विकसित करने में की जा रही
हैं।