पहले वैशाख से होती है बंगला नव वर्ष की शुरूआत
चिन्मय दत्ता,
ग्रेगोरी कैलेंडर के अनुसार 14 या 15 अप्रैल को पहला वैशाख होता है। इस दिन को बांग्लादेश और भारत के पश्चिम बंगाल में नव वर्ष के रूप में उत्सव के साथ मनाया जाता है। बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल में इस अवसर पर सरकारी अवकाश घोषित है।
दरअसल,
भारत
में मुगल साम्राज्य की स्थापना के बाद सम्राट गण हिजरी कैलेंडर के अनुसार कृषि कर
वसूल करते थे, लेकिन हिजरी सन चांद पर निर्भर होने के कारण, कृषि फसलोत्पादन के अनुरूप
नहीं था। तब कर वसूली के लिए मुगल सम्राट अकबर ने सन 593 में पहले वैशाख से नये
कैलेंडर का शुभारंभ किया। सम्राट ने नए रूप में कैलेंडर का निर्माण कराया।
सर्वप्रथम इसका नाम 'फसली
सन' था, कालांतर में 'बांग्ला सन' के नाम से प्रचलित हुआ। अब
यह सन 1428 में
प्रवेश किया है।
सम्राट अकबर के साम्राज्य में जब पहला वैशाख का शुभारंभ हुआ था, उन दिनों सभी को चैत्र माह के अंतिम दिन तक कर, शुल्क इत्यादि जमा करना अनिवार्य होता। पहला वैशाख के दिन जमींदार गण अपने अंचल के आश्रितों को मिठाइयों के साथ शुभकामनाएं देते। उत्सवों का आयोजन होता। कालांतर में यह दिन सामाजिक कार्यक्रम के रूप में परिवर्तित हुआ।
उन दिनों पहला वैशाख का प्रधान कार्य था, एक नया 'हाल खाता' अर्थात कैश बुक का शुभारंभ
करना। इस दिन व्यापारी गण पुराने हिसाब संपन्न कर, नए हिसाब का शुभारंभ करते
और अपने ग्राहकों को मिठाइयों के साथ शुभकामनाएं देते। सन 1917 में पहला वैशाख को आधुनिक
नव वर्ष के रूप में परिवर्तित करने का उल्लेख है। प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटिशों
के विजय कामनाओं के साथ पूजा एवं यज्ञ की व्यवस्था हुई थी।