गरीबी को पीछे छोड़ अपनी लगन को आगे रखने वाले धनुर्धरों को मिला झारखंड सरकार का साथ


चिन्मय दत्ता
कहते हैं प्रतिभा कभी किसी की मोहताज नहीं होती। पहचानने वाले खुद उनके पास पहुंच ही जाते हैं। ऐसा ही झारखंड के चाईबासा के रहने वाले तीरंदाज कोमालिका, कृष्णा और आश्रिता के साथ हुआ है। आर्थिक रूप से कमजोर इन बच्चों को अपनी प्रतिभा को दिखाने एवं राज्य का मान बढ़ाने का अवसर मिलने वाला है।

 दरअसल, इन दिनों ये तीनों तीरंदाज काफी खुश हैं क्योंकि इनकी रिकर्व धनुष की बुकिंग हो गई है और अब जल्द ही ये धनुर्धर रिकर्व धनुष से लक्ष्य पर निशाना साधते नजर आयेंगे। इस बारे में आश्रिता कहती है कि इंडियन राउंड में जो धनुष बांस से बनी होती है,उसके जरिये सिर्फ भारत में ही आर्चरी का खेल खेला जा सकता था, लेकिन रिकर्व धनुष से अब विदेशों में भी जाकर खेलने का मौका मिलेगा। 

राज्य सरकार द्वरा दिये गये इस प्रोत्साहन के लिये धन्यवाद देते हुए आश्रिता ने कहा कि मैं अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर झारखण्ड को गर्वित करने का प्रयास करूंगी। इसी तरह कृष्णा को भी नये धनुष का इंतजार है। वह कहते हैं,समय पर सरकार की मदद मिलने से ओलंपिक में भाग लेने का सपना पूरा होगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकूंगा।
 झारखंड के चाईबासा के रहने वाले कोमालिका बारी,आश्रिता बिरुली और कृष्णा पिंगुआ भले ही गरीब परिवार के बच्चे हैं, मगर धनुष-बाण से लक्ष्य भेदने में माहिर हैं।

कोमालिका राज्य की उभरती हुई अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज है, जिसने स्वीडन में आयोजित वर्ल्ड यूथ आर्चरी चैंपियनशिप, 2018 स्वर्ण पदक प्राप्त कर देश का मान बढ़ाया। आगामी ओलिंपिक के लिये भी कोमालिका का चयन हुआ है और वह इन दिनों पुणे में ओलिंपिक कैंप में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है।

आश्रिता ने 2019 में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी आर्चरी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक प्राप्त किया है और कृष्णा ने खेलो इंडिया आर्चरी चैंपियनशिप 2017 में रजत एवं 64वीं राष्ट्रीय विद्यालय तीरंदाजी प्रतियोगिता,2019 में स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। लेकिन इन उपलब्धियों व प्रतिभा होने के बावजूद रिकर्व धनुष नहीं होने के कारण तीनों बेहतर ढंग से अभ्यास नहीं कर पा रहे थे।

 राज्य सरकार द्वारा इनकी प्रतिभा एवं राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक प्राप्ति की संभावनाओं को देखते हुए इन्हें प्रोत्साहित करने के लिये कोमालिका को दो लाख 70 हजार एवं कृष्णा व आश्रिता को क्रमशः दो लाख 50 हजार की राशि प्रदान की गई।

इसी तरह झारखंड सरकार से अन्य प्रतिभावान खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। खेल को बढ़ावा देने के उदेश्य से राज्य सरकार खेल निति को जल्द लागू करने की दिशा में कार्य कर रही है।

 

Popular posts from this blog

पर्यावरण और स्वच्छता के लिहाज से ऐतिहासिक रहा आस्था का कुंभ 2019

मुखिया बनते ही आन्ति सामाड ने पंचायत में सरकारी योजनाओं के लिये लगाया शिविर

झारखंड हमेशा से वीरों और शहीदों की भूमि रही है- हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री झारखंड