निरंतर बदलती धारा के बीच कोशी नदी पर बन रहा देश का सर्वाधिक लंबा पुल
डॉ.समरेन्द्र पाठक
वरिष्ठ पत्रकार एवं चिंतक।
नेपाल से निकलने वाली कोशी नदी की निरंतर बदलती धारा के बीच इस पर देश का सर्वाधिक लंबा पुल बन रहा है। यह एक संयोग नहीं बदलते समय का परिणाम है। इस बदलाव ने दुनिंया की रूप रेखा बदलकर रख दी है। इसी बदलाव का परिणाम है कि विनाशकारी कोशी नदी पर भेजा से बकौर के बीच देश का सर्वाधिक लंबा पुल बन रहा है।
बीसवीं सदी के शुरू के पांच दशकों तक सालों भर बाढ़ में डूबे रहने वाले इस क्षेत्र के लोगों में आजादी के बाद वर्ष 1954 में तब खुशहाली की किरण दिखाई दी थी,जब इस नदी के मुहाने पर नेपाल के बराह क्षेत्र भीमनगर में बैरेज बनाने के साथ पश्चिमी एवं पूर्वी तटबंध का निर्माण शुरू हुआ।
उस समय अनुमान यह लगाया गया था,कि अगले 15 वर्षो में इस कोशी बहुउद्देशीय परियोजना से इलाके को न सिर्फ बाढ़ की समस्या से निजात मिलेगी बल्कि इस जल को जमा कर इससे सिंचाई एवं पनबिजली उत्पादन किया जायेगा।
इसी उद्देश्य से इस परियोजना पर पिछले 70 वर्षों में अनुमानित लागत से कई गुना अधिक खर्च किये गए,मगर उम्मीदें पूरी नहीं हुई। कोशी की बदलती धाराएं समय समय पर अलग-अलग दिशाओं में कहर बरपाती रही। हाल के पिछले तीन दशकों में कुशहा मझहारी, सुपौल एवं पूर्णियां सहित पूरे उत्तर बिहार में बाढ़ से हुई तबाही एक उदहारण है।
हालांकि अंग्रेजों ने भी वर्ष1863 में ऐसी ही परिकल्पना की थी,जैसा कि कई अंग्रेज लेखकों ने समय समय अपनी पुस्तकों में इसका उल्लेख किया है।वे इसके लिए निरंतर प्रयास भी करते रहे।कोशी नदी के जिस स्थान पर हाल में रेलवे ने पुल का निर्माण किया है,वहां वषों तक रेल गाड़ियां चला करती थी।इस इलाके में वर्ष 1934 में आये भूकंप की तबाही से यह मार्ग बंद हो गया।
समय के साथ बदलाव का परिणाम है,कि आज उसी नदी पर मिथिला में देश का सर्वाधिक लंबा पुल बन रहा है। इस पुल की लंबाई 10.2 किलोमीटर होगी और इसमें 204 खंभे होंगे। इसके निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने 12 सौ करोड़ रुपये स्वीकृत किये हैं। अनुमान के मुताविक इस पर एक हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।
पुल निर्माण का जिम्मा गैमन इंडिया कंपनी को दिया गया है। काम भी शुरू हो गया है। कंपनी ने निर्माण स्थल के दोनों किनारे पर अपना ताम-झाम लगा रखा है। साढ़े तीन साल में काम पूरा किया जाना है।
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के एक आला अधिकारी ने नयी दिल्ली में बताया कि इस पुल निर्माण का काम शुरू हो गया है। इस पुल से जुड़ने वाली हाइवे के लिए मार्ग चिन्हित कर लिया गया है। भू अर्जन की प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही हाइवे निर्माण के लिए टेंडर निकाला जाएगा।
उन्होंने बताया कि सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस हाइवे को सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया जायेगा,ताकि यह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने।इसके साथ ही निर्माण की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है,क्योंकि यह हाइवे एवं पुल नदियों के बीच बन रहा है।
केंद्र की भारत माला योजना के तहत बनने वाली इस धार्मिक सर्किट सड़क निर्माण का उद्येश्य नेपाल सीमा पर स्थित मधुबनी जिले के उच्चैठ भगवती स्थान से सहरसा जिले के बनगांव महिषी स्थित उग्रतारा भगवती स्थान को हाइवे से जोड़ना है।
अधिकारी ने बताया कि इसी हाइवे पर इस पुल का निर्माण किया जा रहा है। इस हाइवे निर्माण पर पांच हजार करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। इससे क्षेत्र में लोगों को रोजगार का अवसर भी मिलेगा तथा इस इलाके से हो रहे पलायन पर रोक लगेगी। वर्ष 1954 में भी तटबंधों के निर्माण के समय बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन हुआ था।
उधर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस महत्वाकांक्षी कार्य योजना को निर्धारित समय पर पूरा किये जाने की अधिकारियों के लिए एक चुनौती है। कोरोना संकट, भूमि अधिग्रहण एवं अन्य प्राकृतिक समस्याओं के कारण हाइवे निर्माण काम शुरू नहीं हो सका है। इसके लिए भूअधिग्रहण एवं निविदा आमंत्रण की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हो पायी है। इस संबंध में एनएचएआई के मोतिहारी में पदस्थापित एक क्षेत्रीय अधिकारी से बात करने की कोशिश की गयी,लेकिन वह जबाव नहीं दे पाए।
इस महत्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य बिहार में मधुबनी, दरभंगा, सुपौल, सहरसा एवं पूर्णिया की परिधि में लगभग 160 किलोमीटर सड़क को धार्मिक सर्किट से जोड़ना है। मधुबनी के एनएच 104, 105, 528ए, एनएच 57 के अलावा 327ई सड़क के बीच इसे टू लेन सड़क के साथ धार्मिक स्थलों को जोड़ने की योजना है।
भारत माला योजना के तहत इस धार्मिक सर्किट से मधुबनी जिले के चिह्नित सड़कों की लम्बाई लगभग 105 किमी है। इसमें उमगांव-बासोपट्टी 6.35 किमी, बासोपट्टी-बेनीपट्टी 17.01, पोखरौनी-मधुबनी 9.20, मधुबनी-रामपट्टी 7, रामपट्टी-मेहथ 13, समिया-अवाम 5, लौफा-नवादा 13, नरुआर -विदेश्वरस्थान 2.2,एनएच 327 (ई) से नेमुआ चौक 9, सुपौल -बनगामा 32 , बनगामा- सहरसा 6.7, बनगामा-उग्रतारा मंदिर 8.4 किमी के साथ ही पूर्णिया तक सड़क को विस्तारित करने की योजना है।इस योजना से धार्मिक स्थलों को जोड़ने के साथ-साथ लंबी दूरी की यात्रा भी सुगम होगी।