राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ने खोला महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का रास्ता

छत्तीसगढ़ में  राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) की विभिन्न गतिविधियों से प्रदेश की महिलाओं को बड़ी संख्या में रोजगार मिल रहा है। आमदनी बढ़ने से परिवार की माली स्थिति अच्छी होने के साथ बच्चों की बेहतर परवरिश और पढ़ाई-लिखाई भी हो रही है।  


छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने के लिए संचालित समुदाय आधारित संवहनीय कृषि परियोजना से बड़ी संख्या में महिलाओं को जोड़ा गया है। इसके माध्यम से तीन लाख 76 हजार महिलाएं खेती और पशुपालन कर रही हैं। इन कार्यों में सहायता और मार्गदर्शन के लिए 4110 कृषि सखी एवं 4052 पशु सखी को प्रशिक्षित किया गया है। महिला किसानों के उत्पादों के मूल्य संवर्धन एव विपणन के लिए पांच कृषक उत्पादक संगठन भी बनाए गए हैं। इनमें दस हजार 394 उत्पादकों को जोड़ा गया है। चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में इन संगठनों द्वारा अब तक कुल एक करोड़ 62 लाख रूपए का व्यवसाय किया जा चुका है। 


बिहान द्वारा संचालित स्टार्ट-अप विलेज उद्यमिता कार्यक्रम SVEP से 7901 महिला उद्यमी स्वरोजगार कर रही हैं। इसके माध्यम से ईंट बनाने के काम में लगीं महिलाओं द्वारा अब तक   पांच करोड़ 65 लाख ईंटों का निर्माण किया गया है। इन ईंटो का उपयोग प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्माणाधीन मकानों और विभिन्न शासकीय भवनों में किया जा रहा है। मकान बना रहे ग्रामीण एवं निजी ठेकेदार भी इनसे ईंटों की खरीदी कर रहे हैं। प्रदेश भर में स्वसहायता समूहों की महिलाएं गौठानों में भी व्यापक स्तर पर रोजगारपरक गतिविधियों में लगी हुई हैं। बड़े पैमाने पर वर्मी कंपोस्ट के निर्माण के साथ वे बकरीपालनमुर्गीपालनमछलीपालनसब्जियों की खेती जैसे कृषि से संबद्ध व्यवसाय के साथ ही रोजमर्रा के जीवन में उपयोग होने वाले उत्पादों जैसे साबुनअगरबत्तीदोना-पत्तलगमलादीयागुलाल जैसी सामग्रियां बना रही हैं।   


राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्वसहायता समूहों की महिलाएं ईंटसीमेंट पोलपेवर-ब्लॉक और चैनल-लिंक फेंसिंग बनाने के साथ ही कैंटीन संचालनसेनेटरी नैपकिन निर्माणहस्त शिल्परेडी-टू-ईट निर्माणहाट-बाजारों के संचालनमछली पालन और सिलाई जैसे कार्यों में भी लगी हुई हैं। रायपुर जिले के सुरभि क्लस्टर की 50 महिलाओं ने नवा रायपुर की सड़कों की साफ-सफाई का काम लिया हुआ है। वे यहां की 75 किलोमीटर सड़कों की सफाई करती हैं। स्वसहायता समूहों की महिलाओं द्वारा तैयार उत्पादों की बिक्री के लिए राज्य एवं जिले के मुख्य बाजारों में 125 बिहान बाजारों की स्थापना की जा रही है। इनका संचालन समूह की महिलाएं खुद करेंगी।


 


बिहान से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं के स्वरोजगार के लिए सर्वसुविधायुक्त मल्टी-यूटिलिटी सेंटर (एकीकृत सुविधा केंद्र) स्थापित किए गए हैं। विभिन्न जिलों में अब तक स्थापित ऐसे 13 केंद्रों में महिलाएं 90 तरह की आजीविकामूलक गतिविधियां संचालित कर रही हैं। इन केंद्रों में 145 समूहों की 1014 महिलाओं को रोजगार मिला हुआ है। चप्पलएल.ई.डी. बल्बमास्कजूट बैगगारमेंट सिलाईमोमबत्तीअगरबत्तीधूपबत्तीपेंसिलसाबुनवाशिंग पावडरदोना-पत्तलट्री-गार्डबेकरी आइटममशरूम उत्पादनमोती की खेतीलाख ज्वेलरीचूड़ी-कंगनफेस-शील्डमछलीपालननर्सरीगमलापेवर-ब्लॉकफ्लाई-एश ब्रिक्सचैन लिंक फेंसिंगआरसीसी फेंसिंगसीमेंट पोलफिनाइलबांस के समानकोसा धागाकरणहथकरघासब्जी उत्पादनमसालागुलालहैंडवाशसेनेटरी नैपकिनपेपर फाइललिफाफाबैगराखी जैसे विविध उत्पाद वहां तैयार किए जा रहे हैं। 


स्वसहायता समूहों की महिलाएं बैंक सखी के रूप में कार्य कर बैंकिंग सेवा की कमी वाले इलाकों में लोगों को नगद राशि उपलब्ध कराने का काम भी कर रही हैं। वे गांव-गांव में पहुंचकर मनरेगा मजदूरीपेंशन और छात्रवृत्ति की राशि हितग्राहियों के हाथों तक पहुंचा रही हैं। बुजुर्गों और दिव्यांगों को उनके घर तक जाकर बैंक सखी रकम दे रही हैं। मनरेगा कार्यस्थलों पर जाकर भी वे मजदूरों को उनके खाते में आई मजदूरी का भुगतान करती हैं। प्रदेश भर में अभी 2069 बैंक सखी काम कर रही हैं। 1500 नई बैंक सखियों का चयन और प्रशिक्षण प्रक्रियाधीन है। कोरोना महामारी के दौरान 1 अप्रैल से 15 अगस्त 2020 तक बैंक सखियों द्वारा 13 लाख 57 हजार ट्रांजैक्शन्स कर 232 करोड़ 19 लाख रूपए का लेन-देन किया गया है। प्रदेश की 285 महिला समूह भी बैंक सखी की सेवाओं का उपयोग कर बैंकों से डिजिटल लेन-देन कर रही हैं।


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