नई तकनीक से फूलों की खेती ने बनाया आत्मनिर्भर


किसानी करते हुए भी आप एक अच्छा जीवन व्यतीत कर सकते हैं, यह एक प्रगतिशील सोच रखने वाले धनंजय महतो कहते हैं। झारखंड के बोडाम प्रखंड के मुचिडीह गांव के किसान धनंजय महतो अन्य किसानों की तरह पारंपरिक खेती से जुड़े थे, मगर हमेशा कृषि से अच्छा उपार्जन करना चाहते थे।


इसी बीच आत्मा कृषि विभाग द्वारा कृषक मित्र के रूप में उनका चयन हुआ। यहीं से धनंजय महतो की जिंदगी बदल गई। वह आत्मा के अन्तर्राजकीय परिभ्रमण कार्यक्रम के तहत महाराष्ट्र गए जहां जैन इरीगेशन कम्पनी के फसल प्रक्षेत्र, संयत्र का भ्रमण किया। कम पानी में सूक्ष्म सिंचाई पद्यति से खेती-बारी की विधि को जाना जिसके बाद अपने खेतों में ये मल्चिंग विधि से सब्जी एवं फूलों की खेती करने लगे जिससे आमदनी में काफी बढ़ोत्तरी हुई।


फूलों की खेती के नवीनतम तकनीक तथा मल्चिंग विधि के बारे में जानकारी प्राप्त कर धनंजय महतो ने कोलकाता से अच्छी किस्म के फूलों का चारा लेकर नर्सरी तैयार किया, इससे लागत में कमी के साथ-साथ अच्छी क्वालिटी के गेंदा फूल का उत्पादन कर रहे हैं।


धनंजय महतो को खेती किसानी के कार्य में अपने परिवार का भी सहयोग मिलता है, कोड़ाई, रोपाई तथा तोड़ाई के समय अत्यधिक फूल उत्पादन होने पर 4-5 मजदूरों को काम पर लगाते हैं। ड्रीप इरीगेशन के द्वारा सिंचाई से कम पानी एवं कम लागत में 1 एकड़ जमीन में 150-170 किलोग्राम फूल का उत्पादन होता है जिसका प्रति सप्ताह तोड़ाई करते हैं।


धनंजय महतो बताते हैं कि प्रति किलोग्राम 55-60 रू0 का दाम मिलता है वहीं माला 10-15 रू0 की दर से बेचते हैं। अपने प्रखण्ड बोड़ाम से 25 किलोमीटर दूर जमशेदपुर शहर में थोक फूल भेजते हैं साथ ही  पश्चिम बंगाल के शहरों में भी गेंदा फूल का व्यापार करते हैं। इनकी आर्थिक स्थिति पहले की अपेक्षा काफी बेहतर हई है। फूलों की खेती में आमदनी देखकर धंनजय महतो अपने आस-पास के अन्य कृषकों से भी जमीन लीज पर लेकर बड़े स्तर पर गेंदा फूल की खेती करना चाहते हैं।


 


Popular posts from this blog

मुखिया बनते ही आन्ति सामाड ने पंचायत में सरकारी योजनाओं के लिये लगाया शिविर

झारखंड हमेशा से वीरों और शहीदों की भूमि रही है- हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री झारखंड

समय की मांग है कि जड़ से जुड़कर रहा जाय- भुमिहार महिला समाज।