उठ बेटी सुबह हो गयी

सूरज की किरणे
      चमकने लगे,
      चिड़िया बाहर चहकने लगे
      सब यही कहने लगे,
     उठ बेटी सुबह हो गयी।
                 तूने जो छोडे थे,
                  केक बिस्किट टॉफी
        देख तेरे भाई अब
                  उसे खाने लगे
                  सब यही कहने लगे
                  उठ बेटी सुबह हो गयी।
    तूने थपकियां देकर जिन
     गुड्डो गुड़ियों को सुलाया था,
     सब आंखें मलते हुए बैठे हैं,।  
      देख तेरी चुनर उड़ जा रहे
      सब यही कह रहे
     उठ बेटी सुबह हो गयी।
                  उठ देखकर ओह सब ,
                 यह एक सपना था।
                 केक, गुड़िया ,चुनर


                  जो अपना था।
                 छत नीचे बैठ सोची
                 यह सब बेगाने थे।
अब कोई नही  जो कहने लगे कि,
उठ बेटी सुबह हो गयी।


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