मिथिला के नाम मखाना की जीआई टैगिंग को लेकर आंदोलन की तैयारी


 सांस्कृतिक एवं पारम्परिक पहचान की रक्षा के लिए संघर्षरत विद्यापति सेवा संस्थान ने मखाना की जीआई टैगिंग बिहार मखाना के नाम से कराये जाने की नीतीश सरकार की कोशिशों पर ऐतराज जताते हुए इसे शीघ्र मिथिला मखाना के नाम किये जाने की मांग की है। यह मामला पत्र के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संज्ञान में भी लाया गया है।


संस्थान ने यह भी कहा है,कि अगर दो अक्टूबर तक ऐसा नहीं किया गया तो इसके लिए आंदोलन शुरू किया जाएगा। यह निर्णय संस्थान की आम सभा की बैठक में लिया गया है।


इस बारे में अर्थशास्त्री एवं एमएलएसएम कालेज के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ.अनिल कुमार झा ने  इसकी जानकारी देते हुए बताया कि संस्थान के महासचिव डॉ.बैद्यनाथ चौधरी ने इस संबंध में मिथिला की भौगोलिक एवं सांस्कृतिक महत्व का हवाला देते हुए बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कृषि संकाय के अध्यक्ष को पत्र लिखा है।


उन्होंने बताया कि भौगोलिक एवं सांस्कृतिक पहचान के मानक के हिसाब से मिथिला के 20 जिलों में मखाना की हो रही खेती के मद्देनजर मखाना की जीआई टैगिंग बिहार मखाना की बजाय मिथिला मखाना या फिर मिथिलांचल मखाना के नाम से होना चाहिये। 


डॉ.झा ने कहा है,कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर ने रजिस्ट्रार, जीआई रजिस्ट्री, चेन्नई के समक्ष  मखाना के जीआई टैग के लिए बिहार मखाना के रूप में प्रस्तावित किया है, जो मिथिला क्षेत्र के लोगों की विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान की अवहेलना है। 


पत्र के साथ संलग्न दस्तावेजों में वर्ष 2018 में बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा अग्रसारित आवेदन संख्या 554 का हवाला देते हुए कहा गया  है, कि मात्र चार जिलों में सिमटे मगही पान की जीआई रजिस्ट्री मगही पान के नाम से किए जाने की सुविधा दी गयी है ,जबकि मिथिला क्षेत्र के 20 जिलों के लगभग आठ करोड़ लोगों की सांस्कृतिक पहचान मिथिला मखाना को बिहार मखाना के रूप में किया गया है।


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