डेम डूब क्षेत्र की घोषणा के बाद सरकारी सुविधा से दूर हैं, झारखंड में हेरमा गांव के लोग

डेम डूब क्षेत्र घोषित होने के बाद सरायकेला खरसावां के राजनगर प्रखंड के हेरमा गांव में ग्रामीण हर उस सरकारी सुविधा से दूर हैं, जिन्हें सरकार अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना चाहती है। यहां रहने वाले लोगों की हालत इतनी दयनीय है कि वे खुद को जिंदा लाश की तरह देखते हैं। यहां के युवा अपना व अपने परिवार का पेट भरने के लिये दूसरे राज्यों में कमाई करने जाते हैं, लेकिन कोरोना काल में घर लौटने के बाद बिल्कुल बेरोजगार बैठे हैं।


सरकार ने भले ही घर लौटे युवकों के लिये मनरेगा में काम देने की बात कही मगर हेरमा में इन सरकारी सुविधाओं का कोई मतलब नहीं। ग्राम प्रधान ने कई बार इस क्षेत्र में सरकारी सुविधाओं की मांग के लिये ब्लॉक स्तर पर चक्कर लगाये मगर उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। प्रधान के अनुसार क्षेत्र के विधायक वोट लेने वक्त कई आश्वासन देकर चले जाते हैं, मगर बाद में सुध नहीं लेते। शहर से बहुत अंदर बसे इस गांव की ओर जाने वाली सड़कें भी टूटी फूटी हैं। एक तो गरीबी की मार और ऊपर से राहत देती किसी भी सरकारी सुविधा का न होना इन्हें और भी लाचार बना रही है।



वाकई विकास के इस दौर में इन ग्रामीणों की लाचारी दूर करने के लिये कोई सार्थक कदम क्यों नहीं उठ सकता, बड़ा सवाल है। कमजोर को मजबूत बनाने की पहलों को इन तक पहुंचाने की कवायदें कब तक शुरू होती हैं, देखने वाली बात होगी।


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