प्रेस काउंसिल भी कराए बार काउंसिल के तर्ज पर चुनाव:- शास्त्री

जिस प्रकार से देश मे बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा देश, प्रदेश, जिला व तहसील स्तर पर बाकायदे चुनाव कराया जाता है, उसी प्रकार से प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को भी चुनाव कराए जाने की व्यवस्था एवं अधिकार दिया जाना चाहिए, जिससे प्रेस काउंसिल भी पत्रकारों का चुनाव करा सके।  यह मांग ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार आचार्य श्रीकांत शास्त्री ने सरकार से की है।


 डाक्टरों व अधिवक्ताओं के लिए उनके-उनके काउंसिल अपने-अपने स्तर से देश भर में बाकायदे चुनाव कराती है और निर्वाचित पदाधिकारी देश, प्रदेश एवं जिला स्तर पर अपने विधा के लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए कार्य करते हैं, लेकिन अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि पत्रकारों के लिए ऐसा कुछ भी नहीं है।


 शास्त्री ने भारत सरकार से मांग करते हुए कहा है कि उपरोक्त की भांति P.C.I. को संसाधन सहित अधिकार जारी करें जिससे प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया भी पत्रकारों को अधिकार दे सके। देश की उपरोक्त संस्थाएं जैसे अपने विधा के लोगों का चुनाव कराती है उसी प्रकार से प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया भी पत्रकारों के लिए देश और राज्य में चुनाव संपन्न कराएं, इससे यह फायदा होगा कि जिस प्रकार से अधिवक्ताओं, डॉक्टरों आदि की समस्याओं के निदान हेतु उनके उनके विधा के लोग कार्य करते हैं उसी प्रकार से पत्रकारों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से निर्वाचित लोग भी देश, प्रदेश व जिला स्तर पर कार्य कर सकेंगे। जिसके साथ ही पत्रकारों का कानूनी तौर पर परिभाषा भी तय हो सकेगा, अभी तक पत्रकार मात्र नाम का चौथा स्तम्भ है।


साथ ही आचार्य श्रीकांत शास्त्री ने यह भी कहा कि इसी के साथ देश में नेशनल जर्नलिस्ट रजिस्टर भी तैयार हो जाएगा। इससे यह लाभ होगा कि सरकारो द्वारा पत्रकारों के लिए चलाई गई कल्याणकारी योजना का लाभ पत्रकारों को सुचारु रुप से मिल पाएगा, नहीं तो पत्रकारो को वास्तविक सुविधा मिलना असंभव हो जाएगा। साथ ही पत्रकारों की सुरक्षा के लिए बने नियम कानून भी कड़ाई से लागू हो जिससे देश के पत्रकार राष्ट्रहित में न्यायपूर्ण तरीके से बिना दबाव के अपना कार्य कर सके।


उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र के तीनों स्तंभों की तरह  चौथे स्तंभ (पत्रकारो) को भी सारी सुविधाएं मिलनी चाहिए, इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि जिस प्रकार से देश के अन्य विधा के लोगो का एक कानून और एक नियम है उसी प्रकार से पत्रकारों का भी एक नियम, कानून होना चाहिए। देश का हर पत्रकार राष्ट्रहित सर्वोपरि रखते हुए अपने दायित्वों का पूरा का पूरा निर्वहन करता है, इसके बाद भी उसके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव रखना बहुत ही दुःखद है।


 


Popular posts from this blog

मुखिया बनते ही आन्ति सामाड ने पंचायत में सरकारी योजनाओं के लिये लगाया शिविर

झारखंड हमेशा से वीरों और शहीदों की भूमि रही है- हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री झारखंड

समय की मांग है कि जड़ से जुड़कर रहा जाय- भुमिहार महिला समाज।