बिहार के मुख्यमंत्री का सुझाव, लॉकडाउन को इस माह के अंत तक रखा जाय ताकि बिहार में जितने लोग आ रहे हैं, उन्हें संभालने में सहूलियत हो

देश के दूसरे हिस्सों से एवं विदेशों से आने वाले लोगों के कारण बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या 700 से ज्यादा हो गयी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह बात 11 मई को कोरोना वायरस से सुरक्षा एवं बचाव पर आयोजित प्रधानमत्री की विडियो कॉन्फ्रेंसिंग में कही। नीतीश कुमार ने कहा कि अभी भी लोग बाहर से आ रहे हैं। 4 मई से 10 मई के बीच 1 लाख से ज्यादा लोग आये हैं। उनमें 1,900 लोगों की रैंडम टेस्टिंग करायी गयी है, जिसमें 148 लोग कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं।


दूर से आने के लिये ट्रेन सबसे सहज माध्यम था, इससे लोगों को आने में सहूलियत हुयी है। उन्होंने कहा कि 10 मई से 96 ट्रेनें आयी हैं, जिसके माध्यम से 1 लाख 14 हजार लोग राज्य में आये हैं। अगले 7 दिनों में 179 ट्रेनें और आने वाली है, जिससे ढ़ाई लाख लोगों के आने की संभावना है। जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार और प्रवासी मजदूर बिहार आना चाहते हैं। उन सभी के लिये भी और ट्रेनों की संख्या बढ़ायी जाय। साथ ही नजदीक के लोगों को बसों से भी लाने की व्यवस्था की जाय। उन्होंने कहा कि जो प्रवासी मजदूर बिहार आना चाह रहे हैं, उन्हें 7-8 दिनों के अंदर पहुंचाने की व्यवस्था हो। 


मुख्यमंत्री ने कहा कि बाहर से आने वाले लोगों की संख्या बढ़ेगी, इसे ध्यान में रखते हुये बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या और बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि इसके लिये पहले से जितनी टेस्टिंग करायी जा रही थी, उसकी क्षमता और बढ़ा रहे हैं। अभी एक दिन में 1,800 सैंपलिंग की जा रही है, जिसे बढ़ाकर 10 हजार करना चाह रहे हैं।


मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में अभी तक जितने लोग बाहर से आये हैं, उनके लिये प्रखण्ड स्तर, पंचायत स्तर पर क्वारंटाइन सेंटर बनाये गये हैं, जहां गुणवत्तापूर्ण समय से भोजन, आवासन एवं चिकित्सकीय सुविधा के साथ-साथ मच्छरदानी, दरी, बिछावन, कपड़े एवं बर्तन की व्यवस्था की गयी है। क्वारंटाइन सेंटरों पर लोगों को 14 दिनों तक रहने के बाद ही उन्हें घर जाने की अनुमति दी जाती है। 


मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा लॉकडाउन के संबंध में जो भी निर्णय लिया जायेगा, उससे हमलोग सहमत हैं लेकिन हमलोगों का सुझाव है कि लॉकडाउन को इस माह के अंत तक रखा जाय ताकि बिहार में जितने लोग आ रहे हैं, उन्हें संभालने में सहूलियत हो।


 


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