भारत की आयुष पद्धतियों में है भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने की बड़ी क्षमता-नितिन गडकरी

भारत की आयुष पद्धतियों में भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने की एक बहुत बड़ी क्षमता है क्योंकि यहां सदियों से प्रचलित निदान एवं उपचार के वैकल्पिक तरीकों की लोकप्रियता निरंतर बढ़ती जा रही है। यह बात केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी ने कही।


गडकरी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम की विभिन्न योजनाओं के तहत देश में आयुष क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए आयुष मंत्रालय और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयुष उद्यमिता विकास कार्यक्रम के दौरान बोल रहे थे।


उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय आयुर्वेद, होम्योपैथी, योग एवंसिद्ध पद्धतियों को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जाना जरुरी है। गडकरी ने कहा कि भारतीय आयुर्वेद, योग, होम्योपैथी एवं सिद्ध पद्धति की अन्य देशों में बहुत मांग है, इसलिए मौजूदा उद्यमियों को इस अवसर का लाभ उठाकर वहां अपने क्लीनिक / आउटलेट खोलने चाहिए और निर्यात को सहारा देना चाहिए।


वैश्विक स्तर पर आयुर्वेदिक उपचार और योग की भारी मांग को विशेष रूप से ख्याति प्राप्त विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित मानव संसाधन को बढ़ाकर पूरा किया जा सकता है।


 गडकरी ने इस बात पर भी जोर दिया कि प्रशिक्षित योग विशेषज्ञों / प्रशिक्षकों को विकसित करने की बहुत आवश्यकता है और इसके लिए प्रसिद्ध प्रशिक्षण संस्थानों के साथ मिलकर पाठ्यक्रम शुरू किए जा सकते हैं। उन्होंने हमारे दैनिक जीवन में योग, आयुर्वेद और संतुलित आहार को शामिल करके जीवनशैली में बदलाव लाने पर बल दिया।


उन्होंने आगे कहा कि जो नवाचारी या वैकल्पिक उपचार राहत प्रदान करने में सक्षम हैं, उन्हें उचित कौशल विकास के साथ संबद्ध और सम्मिलित किया जाना आवश्यक है ताकि वे सभी के बीच लोकप्रिय हो सकें। 


आयुष का संबंध दवाओं की आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध तथा होम्योपैथी प्रणाली से है। आयुष के प्रमुख क्लस्टर  अहमदाबाद, हुबली, त्रिशूर, सोलन, इंदौर, जयपुर, कानपुर, कन्नूर, करनाल, कोलकाता एवं नागपुर हैं।


गौरतलब है कि इस क्षेत्र को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें असंगठित क्षेत्र, विनिर्माण संबंधी अच्छे चलन की कमी, गुणवत्ता प्रणाली, परीक्षण आदि, पारंपरिक विपणन पद्धति, निर्यात के लिए छोटे अवसर, प्रचार कार्यक्रमों और सहायता की कमी शामिल हैं।


 


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