स्वामी विवेकानंद केवल संत ही नहीं महान देशभक्त, वक्ता, विचारक, लेखक और मानव प्रेमी रहे
आज 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। दरअसल 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में नरेंद्र नाथ दत्त का जन्म हुआ। यही नरेंद्र, स्वामी विवेकानंद के नाम से प्रसिद्ध हुए। इनके पिता विश्वनाथ दत्त कोलकाता हाई कोर्ट में प्रसिद्ध वकील और माता भुवनेश्वरी देवी धर्म परायण महिला थी। इनके मूल जन्म स्थान का पुनरुद्धार कर सांस्कृतिक केंद्र का रूप दे दिया गया है।
स्वामी विवेकानंद की प्रारंभिक शिक्षा 1871 में ईश्वर चंद्र विद्यासागर के मेट्रोपोलिटन संस्थान से प्रारंभ हुई। यह एकमात्र छात्र थे जो प्रेसिडेंसी कॉलेज के प्रवेश परीक्षा में प्रथम आए। स्वामी विवेकानंद रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। 1893 में इन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत और अमेरिका में इन्होंने रामकृष्ण मिशन की अनेक शाखाएं स्थापित की। निवेदिता इनकी सुयोग्य शिष्या रही।
रवींद्र नाथ टैगोर ने कहा था कि यदि भारत को जानना हो तो विवेकानंद को पढ़िए। भारत में विवेकानंद को देशभक्त सन्यासी के रूप में माना जाता है। ये केवल संत ही नहीं महान देशभक्त, वक्ता, विचारक, लेखक और मानव प्रेमी रहे। ये आधुनिक भारत के आदर्श प्रतिनिधि हैं। 4 जुलाई 1902 को इन्होंने महासमाधि ली। बेलूर में गंगा तट पर चंदन की चिता पर इनका अंतिम संस्कार किया गया। इसी गंगा तट के दूसरी ओर सोलह वर्ष पूर्व रामकृष्ण परमहंस का अंतिम संस्कार हुआ था।
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णयानुसार 1984 को अंतर्राष्ट्रीय युवा वर्ष घोषित किया गया। इसके महत्व पर विचार कर भारत सरकार ने 12 जनवरी 1948 में विवेकानंद जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस घोषित किया। यह जानकारी पाठक मंच के साप्ताहिक कार्यक्रम इंद्रधनुष की 700वीं कड़ी में दी गई।