देश में पिछले 30 सालों में गरीबी में आई भारी कमी- अभिजीत बनर्जी


देश में जनसंख्या वृदधि के बाद भी गरीबों की संख्या में बड़ी कमी आई है, जो अच्छी बात है। यह बात दुनिया भर में गरीबी दूर करने में प्रयोगात्मक दृष्टिकोण के लिये अर्थशास्त्र में नोबेल सम्मान पाने वाले अभिजीत बनर्जी ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में कही। बनर्जी ने कहा कि देश में 30 साल पहले 1990 में 40 फीसदी लोग गरीब थे, और आज के समय में 20 फीसदी लोग ही गरीब हैं, जो उल्लेखनीय है।


 भारतीय अमेरिकी अर्थशास्त्री ने कहा कि  ‘गरीबी कैंसर की तरह है और इससे कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं।  कुछ लोग शिक्षा के मामले में गरीब हैं, कुछ सेहत से गरीब हैं और कुछ पूंजी के मामले में गरीब हैं। आपको पता लगाना है कि क्या कमी रह गई है। सभी का एक तरीके से समाधान नहीं किया जा सकता।’ जहां तक सब्सिडी की बात है तो जो काफी गरीब हैं, उन्हें सब्सिडी देते रहना चाहिए।


उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में नरमी से देश में गरीबी उन्मूलन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि शहरी और गरीबी क्षेत्र आपस में जुड़े हैं। ‘गरीबी उन्मूलन इस आधार पर होता है कि शहरी क्षेत्र में कम कौशल वाले रोजगार उत्पन्न होते हैं, जिससे गांव के लोगों को शहरी क्षेत्र में ऐसे रोजगार मिलते हैं, जिससे पैसा वापस गांव में आता है। इससे शहरी क्षेत्र की समृद्धि ग्रामीण क्षेत्र को समृद्ध करता है। 


उन्होंने कहा, 'देश में बैंकिंग क्षेत्र दबाव में है और सरकार प्रोत्साहन पैकेज देकर इसे संकट से बाहर निकालने की स्थिति में नहीं है। वाहन क्षेत्र में मांग में नरमी से भी पता चलता है कि लोगों में अर्थव्यवस्था को लेकर भरोसे की कमी है।' इसीलिए वे खर्च नहीं कर रहे हैं।’’ यदि सरकार निवेश आकर्षित करने के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था में शामिल होना चाहती है, तब लोगों को सही आंकड़ा उपलब्ध कराना जरूरी है।’ लोगों में अर्थव्यवस्था को लेकर भरोसा होना जरूरी है।


हालांकि लिटरेचर फेस्टिवल में बनर्जी ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं है, लेकिन हाल के दिनों में इसमें कुछ सुधार के संकेत दिखाई पड़े हैं। नए आंकड़े आ रहे हैं। व्यवस्था सही राह पर है, लेकिन वक्त लगेगा। धीरे-धीरे लेकिन लगातार काम करने की जरूरत है। देश में रुपयों की कमी है। हम सही गति से चलते रहे तो निश्चित रूप से संकट से ऊबर जाएंगे।


अर्थशास्त्री ने यह भी कहा कि लोकतांत्रिक देश की शासन व्यवस्था में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों का योगदान होता है। जहां विपक्ष कमजोर होता है, वहां सत्ता पक्ष भी सही ढंग से कार्य नहीं कर सकता है। वर्तमान में देश में विपक्ष बिखरा हुआ है। देश में स्थिरता के लिये मजबूत विपक्ष की जरूरत है। 


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