भुवनेश्वर में भारतीय रेलवे ने किया कचरा से ऊर्जा उत्पादन का संयंत्र शुरु

भारतीय रेलवे के जरिये अब प्रतिदिन 500 किलोग्राम कचरे से किया जा सकेगा उर्जा उत्पादन। दरअसल भारतीय रेलवे ने कचरे से ऊर्जा उत्पादन में देश के पहले सरकारी संयंत्र की स्थापना ईस्ट कोस्ट रेलवे में भुवनेश्वर के मानचेस्वर कैरिज रिपेयर वर्कशॉप में की है, जिसकी क्षमता  प्रतिदिन 500 किलोग्राम कचरा है।


कचरा से ऊर्जा उत्पादन के इस संयंत्र का निर्माण तीन महीने में किया गया है। यह भारतीय रेलवे में अपनी तरह का पहला और भारत में चौथा संयंत्र है। कचरे से ऊर्जा उत्पादन का यह संयंत्र पेटेंटकृत प्रौद्योगिकी है जिसे पॉलीक्रैक कहा जाता है। 


यह दुनिया की पहली पेटेंटकृत विषम उत्प्रेरक प्रक्रिया है जो विभिन्न तरह के कचरे को हाइड्रोकार्बन तरल ईंधन, गैस, कार्बन और पानी में बदल देती है। पॉलीक्रैक संयंत्र में सभी तरह के प्लास्टिक, पेट्रोलियम अपशिष्ट, 50 प्रतिशत तक की नमी वाले मिले हुए ठोस कचरे एमएसडब्ल्यू (नगरपालिका ठोस कचरा), ई-कचरा, ऑटोमोबाइल कचरा, बांस, बगीचे के कचरे इत्यादि सहित सभी जैविक कचरे और जेट्रोफा फल डाले जा सकते है।


पारंपरिक तरीके से कचरा निपटान की तुलना में पॉलीक्रैक के कई फायदे हैं, जैसे- कचरे को छांटने और सुखाने की जरूरत नहीं होती, इसे एक साथ पॉलीक्रैक में डाला जाता है। चौबीस घंटे में कचरे को प्रसंसस्कृत किया जाता है। प्रक्रिया के दौरान परंपरागत तरीकों के विपरीत कोई वायुमंडलीय उत्सर्जन नहीं होता है। सिर्फ गैसों के जलने की स्थिति में प्रदूषक निकलते हैं जो दुनिया भर में निर्धारित मानदंडों से कम होते हैं। मशीन की पूंजी लागत और परिचालन लागत कम है। इसमें न्यूनतम श्रम शक्ति की जरूरत है। 


 


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