राज्योत्सव के साथ होगा हर वर्ष राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन: मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़


27 से 29 दिसम्बर तक छत्तीसगढ़ के रायपुर के साइंस कालेज मैदान में तीन दिनों तक चलने वाले राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में बड़ी संख्या में आदिवासी कलाकारों ने अपनी कला और संस्कृति को नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में छह देशों सहित 25 राज्यों और तीन केन्द्र शासित प्रदेशों के कलाकार एक साथ जुटे। इस महोत्सव में देश-विदेश की जनजातीय संस्कृतियों को करीब से जानने का लोगों को मौका मिला।


इस आयोजन की सफलता पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि अब हर साल राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन होगा। यह आयोजन राज्योत्सव के साथ होगा। राज्योत्सव कुल पांच दिनों को होगा। इसमें पहले दो दिन राज्य के स्थानीय कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। वहीं शेष तीन दिन राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में पहली बार देश-विदेश के कलाकारों ने एक साथ मंच साझा किया है।


देश-विदेश के कलाकारों ने जिस शिद्दत से अपनी प्रस्तुति दी उसकी अमिट छाप हमारे दिल में हमेशा रहेगी। छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ का महत्व हर युग में रहा है। त्रेता युग में भगवान राम का ननिहाल यहीं था और उन्होंने अपने वनवास का अधिकांश समय छत्तीसगढ़ में बिताया था। द्वापर में कृष्ण-अर्जुन के यहा आने के प्रमाण है।



बौद्धकाल में सिरपुर में बौद्ध ज्ञान एवं शिक्षा का प्रमुख केन्द्र रहा है। आजादी की लड़ाई के दौरान 1857 में शहीद वीर नारायण सिंह ने अंग्रेजों के विरूद्ध बिगुल फूका। आदिवासियों ने जंगल सत्याग्रह कर अंग्रेजों के शोषण नीति के विरूद्ध आवाज उठाई। यहां समाज सुधार के क्षेत्र में बाबा गुरू घासीदास और पंडित सुन्दरलाल शर्मा सहित अनेक महापुरूषों का उल्लेखनीय योगदान हैं।  


मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले पंद्रह वर्षों में छत्तीसगढ़ की पहचान लुप्त हो गई थी। इसे केवल देश के नक्शे पर नक्सल हिंसा की गतिविधियों में स्थान मिलता था। हमारी सरकार बनते ही छत्तीसगढ़ की गौरवशाली परम्परा और इतिहास, पुरखों के सपनों को पूरा करने की दिशा में तेजी से काम करना शुरू किया।


*महाराष्ट्र में भी छत्तीसगढ़ की तर्ज में होगा आदिवासी नृत्य महोत्सव*


समापन कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष नानाभाऊ पटोले ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासियों की कला एवं संस्कृति को देश-दुनिया में पहुंचाने और आदिवासियों में नई ऊर्जा लाने का काम किया है। आदिवासियों के जीवन में एक नई क्रांति और जोश भरा है। उन्होंने कहा कि आदिवासी जनजीवन को प्रेरणा देने के लिए महाराष्ट्र में भी इस प्रकार के आयोजन की पहल की जाएगी। 


गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पहली बार आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में 25 राज्यों, 3 केन्द्र शासित प्रदेशों सहित बांग्लादेश, थाईलैण्ड, श्रीलंका, युगांडा, बेलारूस और मालदीप के 1800 कलाकारों ने यहां 125 से अधिक मनमोहक प्रस्तुतियां दी। आदिवासी कला और संस्कृति का अनूठा संगम यहां तीन दिनों तक रहा। यहां आए कलाकारों ने एक दूसरे की संस्कृति का खूब आनंद लिया।


नृत्य महोत्सव के अंतिम दिन उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, झारखंड, आंध्रप्रदेश, गुजरात सहित छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने अप्रितम नृत्य के हुनर का प्रदर्शन किया। वहीं शिल्पग्राम, छत्तीसगढ़ी व्यंजन और विभागीय स्टॉल कौतूहल का केंद्र बने रहे। 


 


 


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