आंगन का यौवन
कहाँ खो गया हरा भरा तेरा जोबन
फुर्र से उड़ गया आजकल
हे आंगन तेरा यौवन
लौट आओ कि
तुम बिन सूना लगता मकान
प्यारा सा घरौंदा टूट गया आजकल
हे आंगन तेरा यौवन
हँसना बोलना नाचना
सब मिलता था तेरे आँचल में।
वक्त गुजरता गया
आजकल हे आँगन तेरा यौवन।
दूध के दांत गिरते देखा,
कच्ची मिट्टी से पक्की बनते देखा,
आजकल हे आँगन तेरा यौवन ढलते देखा ।।