वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बन रहा है, भारतीय इस्पात उद्योग-धर्मेन्द्र प्रधान
स्टेनलेस स्टील के उत्पादन में क्रोमियम के प्रयोग का जिक्र करते हुए प्रधान ने कहा कि देश में कुल उत्पादित क्रोमियम का 70 प्रतिशत हिस्सा स्टेनलेस स्टील के उत्पादन में इस्तेमाल होता है। स्टेलनस स्टील का अंतरिक्ष, रक्षा और तेल तथा प्राकृतिक गैस सहित कई क्षेत्रों में विशेष इस्तेमाल होता है। उन्होंने निवेशकों और उद्यमियों को देश के विकास में भागीदार बनने का न्यौता देते हुए कहा कि दिवाला एंव शोधन अक्षमता और अप्रत्यक्ष करों में किए गए ढ़ांचागत सुधार और हाल में कार्पोरेट टैक्स में की गई कटौती इन सबका उद्देश्य निवेश और विकास को गति देना है।
उन्होंने कहा कि भारतीय इस्पात क्षेत्र सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न नीतिगत उपायों और उद्योग की उद्यमिता की भावना के कारण अधिक जीवंत, कुशल, पर्यावरण के अनुकूल और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017, लौह और इस्पात उत्पाद (डीएमआई और एसपी) नीति तथा इस्पात उत्पादों पर ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआईएस) का मानक चिन्ह इस क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए की गई कुछ प्रमुख नीतिगत पहल हैं।
धर्मेंन्द्र प्रधान ने कहा “मुझे विश्वास है कि भारत में स्टेनलेस स्टील का उत्पादन और खपत बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था के साथ बढ़ेगी। हमने हाल ही में इस्पात के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से "इस्पाती-इरादा" नाम से एक ब्रांड की शुरुआत की है। स्टेनलेस स्टील क्षेत्र की वृद्धि स्वाभाविक रूप से फेरो क्रोम और क्रोम अयस्क की मांग को बढ़ावा देगी"।