संगीत को बनाए जीवन का हिस्सा, तनाव होंगे दूर


बदलती जीवनशैली में लोग इतने व्यस्त रहने लगे हैं कि तनाव भी उनके जीवन का हिस्सा बनता जा रहा है। सुकून के एक पल की तलाश में जैसे ज़िन्दगी भागती रहती है, मगर वह कहीं मिलता नहीं। ऐसे में कुछ ऐसी आदतें भी है, जिन्हें खुद में शामिल कर हम सब तनाव रहित हो सकते हैं। यह आदत है, मन पसंद संगीत सुनने की। एकाग्रता, जोश, एवं भावनाओं के समागम के लिये संगीत जैसे रामवाण का काम करता है।


आधुनिक शोधों से भी पता चलता है कि संगीतमय ध्वनि हमारी रोग-प्रतिरोधक प्रणाली को मजबूत कर शरीर में दर्द निवारक हार्मोन्स का रिसाव बढ़ाती है। हृदय गति एवं श्वसन क्रिया को धीमा करने के साथ तनाव से मुक्त करती है। वैज्ञानिकों के अनुसार, ध्वनि के साथ हम चेतना की उस स्थिति में पहुंच जाते हैं, जहां हमारा जीवन शांत हो जाता है, और एकाग्रता हासिल होती है। धीमी गति से वाद्ययंत्र सुनने से मन शांत होने के साथ, संतुलित रहता है। यही वजह है कि संगीत, एकाग्रता, संयम और सभी चिंताओं से दूर करके  खुद में सकारात्मकता का अहसास दिलाता है।


तानसेन और बैजू बावरा महान संगीतज्ञ थे, जिनके संगीत में इतनी शक्ति थी कि दीपक राग से दिेये जल जाते थे और मल्हार राग से बारिश आती थी। व्यक्ति सब कुछ भूलकर बस संगीत में मग्न हो जाता था। संगीत में अपार शक्ति है। संगीत प्रेम इंसान के उस कोमल मन को जाहिर करता है, जो उसकी बेपरवाही से कहीं छिपा रहता है। 


यह एकाग्रता को सबल करता है। जैसे अगर आप कोई काम ध्यान पूर्वक काम करना चाहते हैं, तो धीमी आवाज में संगीत सुनते हुए काफी देर तक बिना थके वह काम कर सकते हैं।


बीमारी में संगीत बेहतरीन दवा का काम करती है। यह शारीरिक कष्ट को दूर करने के साथ मानसिक रूप से तरोताजा करने का काम करती है। इसलिये जब भी आप काम से थकने लगें, बीमार महसूस करते हों, जिंदगी वीरान लगे, या फिर मन में कोई भटकाव या तनाव हो, तो निजात पाने के लिये मन पसंद संगीत सुनिये। निस्संदेह आप हल्का महसूस करेंगे। यह एक निशुल्क दवा की तरह है, जिसका साईड इफेक्ट नहीं होता।


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