हॉट सीट पर निठल्लाजी

कौन बनेगा महा करोड़पति के हॉट सीट(गरम आसन) पर बैठा हूँ। सामने इस सदी के बम्बईया सिनेमा के महानायक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन जी स्मित हास्य लिये बैठे हैं। इस मुस्कान पर कितनों का कत्ल हुआ है, इसका लेखा-जोखा नहीं हुआ है। वृहद शोध का विषय है। वही कातिल निगाह और मुस्कान मुझपर उछाल रहे हैं, और कह रहे हैं, तुम्हें तो पहले ही बॉल पर पीच पर लुढ़का दूँगा, जैसे हॉल ने नारी कॉन्ट्रेक्टर को सदा के लिये बोल्ड कर दिया था।


ऊपर से चाहे मैं जितना बोल्ड बनने की कोशिश कर रहा हूँ, लेकिन अन्दर से बेहद डरा-डरा सा हूँ। वो कहते हैं ना कि पहिल मारे से मीर, ऑफेन्स इस द बेस्ट डिफेन्स। इसीलिये इसके पहले वो कोई बेस्ट चाल चलते मैंने कह दिया, महानायक जी, पहले आप हमला करें, मैं कुछ कहना चाहता हूँ। अमिताभ जी को पता है कि जबह के पहले बकरे कुछ कहते नजर आते हैं, इसलिये उन्होंने बेफिक्राना अंदाज में कहा- फरमाईए। अमिताभ जी, आपमें और आपके पिताजी हरिवंश राय बच्चन में एक विचित्र समानता है, जो विरले पिता-पुत्र में होता है। 


अमिताभ बच्चन जी ने कहा- क्या नाम बताया आपने-हाँ। निठल्ला जी, मुझमें और मेरे पिताजी में कोई तुलना नहीं है। वे श्रेष्ठा थे, मौलिक थे। वे खून में कलम डुबोकर लिखते थे, अपनी हड्डियाँ जलाकर जहाँ को रौशन करते थे, और मैं तो दूसरों की नकल करता हूँ। मुझमें श्रेष्ठा का गुण नहीं है। वे कवि थे, जिसका अर्थ होता है, सर्वज्ञा, इसलिये वे शाश्वत हैं, मैं तात्कालिक हूँ। आपकी बात से मैं सहमत हूँ। आप शायद 19वीं सदी के महान शायर सौदा और करेला भांड की ओर इशारा कर रहे हैं, जो बहुत ही मशहूर थे। उनकी और महाशायर सौदा में किसी बात को लेकर ठन गई। सौदा, निंदात्मक शायरी के फन में माहिर थे।


 उन्होंने चंद निंदात्मक शेर लिखे, और शेर अवधवासियों की जुबान पर चढ़ गई। करैला भांड तुरंत सौदा के पास आए, और समर्पण करते हुए कहा था-हुजूर ! मैं भांड हूँ, दूसरों की नकल करता हूँ। मैं तो तात्कालिक हूँ, हुजूर तो जब तक उर्दू शायरी रहेगी, तब तक जिंदा रहेंगे। मुझे माफ कर दीजिए।


अमिताभ जी ने कहा कि कहानी तो मुझे नहीं मालूम, लेकिन आपकी बात से सहमत हूँ, परन्तु आप समानता की बात कर रहे थे। उसी की मैं चर्चा कर रहा हूँ। मधुशाला, आपके पिताजी की कॉलेज के जमाने की रचना है। बनारस में बच्चन जी मधुशाला का पाठ कर रहे थे। बेढ़व बनारसी भी श्रोता में से एक थे। वे मधुशाला की हर चतुष्पदी पर पैरोडी बनाते चल रहे थे। मधुशाला के बाद बच्चन जी की दर्जनों प्रौढ़ रचनाएँ आयी। हिंदी साहित्य के लिये अनमोल हैं, लेकिन जो लोकप्रियता मधुशाला को मिली वह किसी दूसरी रचना को नहीं मिली।


उसी तरह आपने अपने अभिनय के शुरूआती दौर में एक फिल्म में काम किया, वह फिल्म है, 'आनंद'। उस फिल्म में आपने मरीज मित्र के हितैशी डाक्टर का अभिनय किया। अद्भुत अभिनय था। एलोपेथ का डॉक्टर किसी दूसरे पैथ पर आस्था नहीं रखता है, और न उसकी अनुशंसा करता है। बावजूद मेडिकल आत्मसम्मान छोड़कर मित्र के दर्द के शमन के लिये होम्योपैथिक दवा लाना और उस दर्द मे अहसास को व्यक्त करना, यह अभिनय की पराकाष्ठा थी। उस समय जो आप डायलॉग बोल रहे थे, मालूम पड़ा कि आप अपने अन्तर्मन से बोल रहे थे।


बाद में किसी फिल्म किरदार का अभिनय आपसे नहीं हो सका। सब जगह अमिताभ बच्चन अभिनय करता नजर आया। अगर आपको अपनी फिल्म देखने की आदत होगी तो आप स्वयं महसूस करते होंगे।


मधुशाला के बाद बच्चन जी चर्चा में आए तब, जब उन्होंने आत्मकथा का प्रथम खंड क्या भूलूँ क्या याद करूँ लिखी।


हिन्दी में आत्मकथाएँ लिखी गईं हैं और लिखी जाएँगी, लेकिन किसी आत्मकथा में आत्मस्वीकृतियाँ नहीं थीं, जो मो.क.गाँधी की आत्मकथा में थी, हंसा वाडेकर की आत्मकथा में थी। कुछ लोगों ने आत्मकथा के नाम पर पोर्नोग्राफी अवश्य लिखी।


बच्चन जी की आत्मकथा चर्चित ही नहीं, बहुचर्चित हुई। उसी तरह आनंद के बाद आप बागवाँ में अभिनय करते नजर आए।


फूलों में छुपे कीट भी देवताओं के शीश पर चढ़ जाते हैं, उसी तरह आपने हरिवंश राय बच्चन के साथ मेरी तुलना करके जो मान-सम्मान दिया, उसका मैं आभारी हूँ। लेकिन एक प्रश्न आपसे....आप बिहार से हैं? एकदम सही कहा, मैं बिहार से हूँ। बिहार के नाम से ही आप इतने प्रफुल्लित कैसे हो गये ? बिहार हिंदुस्तान का पर्यायवाची शब्द जो है। कैसे ?


बिहार अंग्रेजी में लिखा जाता है- बिहार-बी- भारत, -इंडिया, ||-हिंदुस्तान, ए- आर्यावर्त, और आर- रूहेलखंड, भारत का मध्य है। बिहारी माने हिंदुस्तानी। बहुत खूब ! क्या नाम बतलाया निठल्ला जी- हाँ- एक निहायत व्यकितगत प्रश्न पूछ रहा हूँ। अन्यथा मत लीजिएगा।


यह भी कोई बात हुई। हमारी बात का बुरा नहीं माना तो आपकी बात का बुरा क्यों मानूँगा। बिहारी को बुद्ध क्यों कहा जाता है ?


ईर्ष्या से।


मतलब?


पंडित, मौलवी, मुल्ला का अर्थ ज्ञानी होता है। लोग ईष्या से इस शब्द का मजाक उड़ाते हैं। उसी तरह बुद्धू का। बुद्धू बुद्ध से उद्धृत है। बुद्ध का अर्थ ज्ञानी होता है। इसलिये ईर्ष्यावश बुद्धू कह देते हैं। छोड़िये इन बातों को। आइये हम खेलते हैं, कौन बनेगा महा करोड़पति।


उसके लिये पहला प्रश्न पाँच हजार रूपये के लिये आपके स्क्रीन पर। भारतवर्ष में वर्ष का अर्थ क्या होता है ? ऑप्शन है- 1.वर्षा 2. मौसम 3. कालखंड 4.खंड


आपके पास 45 सेकेंड है। सवाल का जवाब नहीं आता हो तो आपके पास चार लाइफ लाइन है- 1. फोन ए फंड 2. जनता पोल 3. विशेषज्ञ की सलाह और सवाल का बदला जाना।


मैंने कहा चारों अर्थ सही है, लेकिन प्रश्न के अनुसार चौथा।


जब चारों अर्थ सही है तो चौथा एकदम सही कैसे लगा।


आपने कभी संकल्प किया है ?


-किया है।


-याद है ?


- नहीं। जो पंडित जी कहते गये, मैं दुहराता चला गया।


जम्बूद्वीपे, भारतखंड.......


भारतवर्ष का अर्थ हुआ भरतखंड, जम्बूद्वीप का एक हिस्सा


एकदम सही उत्तर |


आप पांच हजार जीत गये। दस हजार के लिये दूसरा प्रश्न....


तब तक श्रीमति ने झकझोरते हुए कहा-चाय पी लीजिये।


धत तेरे की, सपने में सही 7 करोड़ जीतते तो......


 


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