बोलती सड़क
मैं सड़क हूँ,
चलती फिरती बिना हाथ पैरों की
मैं सड़क हूँ।
मुझे पता ही नहीं कि,
मैं सोई कब
बच्चे मेरे रिमोट लेकर,
दौड़ाते हैं, गाड़ियाँ सब,
मैं, सड़क हूं।
शोर मेरा गहना बनकर,
घटनाएँ आए दिन नई
साड़ियाँ पहनती हैं,
मैं सड़क हूँ।
कभी राजनीतिक,
कभी फिल्मी दुनियाँ, बनती हैं ,
मेरे आँचल में,
मैं सड़क हूं।
रास्ता राह बनाती हूँ मैं,
फिर क्यूँ गंदा कर जाते हैं
थूक कर मेरे कपड़ों पर,
मैं सड़क हूँ।