"धूल का फूल" के निर्देशन के साथ यश चोपड़ा ने की थी अपने कैरियर की शुरुआत


हिंदी फिल्मों के प्रसिद्ध निर्देशक यश चोपड़ा का जन्म 27 सितंबर 1932 को ब्रिटिश भारत के ऐतिहासिक नगर लाहौर में हुआ। इनका पूरा नाम यश राज था। इन्होंने यश अपना लिया और राज को राज ही रहने दिया।


   यश राज ने अपने भाई बलदेव राज चोपड़ा और इंदरजीत सिंह जौहर के साथ बतौर सहायक निदेशक फिल्म जगत में प्रवेश किया। 1959 में "धूल का फूल" के निर्देशन के साथ अपनी कैरियर की शुरुआत की। 1961 में "धर्मपुत्र" का निर्माण बेमिसाल रहा। 1965 में वक्त की अपार लोकप्रियता से उत्साहित होकर इन्होंने 1973 में फिल्म कंपनी "यश राज फिल्म्स" की स्थापना की।


1973 में "दीवार", 1976 में "कभी कभी", 1978 में "त्रिशूल", 1981 में "सिलसिला" से अमिताभ बच्चन को बॉलीवुड में स्थापित किया। 1989 में इनकी निर्मित फिल्म "चांदनी" अत्यंत सफल रही। 1991 में इनकी क्लासिकल फिल्म "लम्हे" आई। 1993 में नवोदित कलाकार शाहरुख खान को लेकर "डर" बनाई। 1997 में "दिल तो पागल है", 2004 में "वीरजारा" और 2012 में "जब तक है जान" का निर्माण किया।


     यश चोपड़ा ने 5 दशकों में 50 से अधिक फिल्में दी। इन्हें 6 बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 4 बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार मिला। "दादा साहेब फाल्के" पुरस्कार के अतिरिक्त भारत सरकार ने इन्हें 2005 में "पद्म विभूषण" से सम्मानित किया। 21 अक्टूबर 2012 को मुंबई में यश चोपड़ा ने अंतिम सांसे ली। आज उनकी पुण्य तिथि के अवसर पर  पाठक मंच के साप्ताहिक कार्यक्रम इंद्रधनुष की 688वीं कड़ी में यह जानकारी दी गई।


    


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