यू.एन. आई. की रक्षा के लिये रिसीवर नियुक्त करने की मांग


यू. एन. आई.की बेंगलूर स्थित बिल्डिंग को सरकार द्वारा अपने कब्जे में लेने के बाद की स्थिति पर चर्चा के लिए "सेव् यू. एन. आई मूवमेंट" की दिल्ली में  बुलाई गई आपात बैठक के बाद यह मांग की गयी  कि देश की  पुरानी समाचार एजेंसी यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ़ इंडिया(यू. एन. आई.)की चल-अचल संम्पति की रक्षा के लिए केंद्र सरकार तुरंत रिसीवर नियुक्त करे और संस्थान पर अवैध रूप से कब्ज़ा जमाये मामा-भांजा को गिरफ्तार करे ।


बैठक की अध्यक्षता  मूवमेंट के संयोजक डॉ. आर.के रमन ने की । इस मौके पर मुख्य समन्वयक एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ. समरेंद्र पाठक भी मौजूद थे ।


बाद में मूवमेंट के प्रवक्ता सनंत सिंह , सिहेक्ट मीडिया के सी. एम. डी एवं सिने आजकल के प्रधान संपादक कुमार समत , उर्दू के वरिष्ठ पत्रकार सुल्तान कुरैशी , भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय सचिव नंदन झा , एन.डी. पी. ऍफ़ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बाबू मुन्ना , समाज सेवियों पी. मलिक , मोहन ठाकुर एवं आर.के झा ने कहा कि यू. एन. आई की रक्षा के लिए सरकार को तुरंत रिसीवर नियुक्ति करना चाहिए तथा इस संस्था पर अवैद्य रूप से काबिज मामा भांजे को शीघ्र गिरफ्तार किया जाना चाहिए ।  इनके खिलाफ पुलिस एवं विभिन्न जाँच एजेंसियों के समक्ष कई संगीन आरोपों की जाँच लंबित है।


उन्होंने कहा कि यू. एन. आई को बर्बादी के कगार पर पहुँचाने वाले कांग्रेस के पूर्व राज्य सभा सदस्य स्व. प्रफुल्ल माहेश्वरी एवं इनके परिवार के सदस्य हज़ारों करोड़ो के एन. बी. प्लांटेशन घोटाले में शामिल हैं। इन्ही चौकड़ी की वजह से संस्था दम तोड़ रही है।


उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के 40-42 महीनों का सैलरी बैक लॉक है। उनके करोड़ों रुपए पी. ऍफ़ आदि मद में वर्षों से जमा नहीं कराये गए है । पचास से अधिक मामले विभिन्न अदालतों में चल रहे है। संस्थान में अघोषित कर्फ्यू की स्थिति है। प्रमुख अख़बारों ने सर्विस लेना प्रायः छोड़ दिया है । प्रसार भारती ने भी सेवा बंद करने की कई बार चेतावनी दे रखी है । इसके बावजूद मामा भांजे की जोड़ी निरंतर यू. एन. आई मुख्यालय की लीज़ पर दी गयी सरकारी जमीन की  सौदेबाजी की कोशिश में लगा है ।


उन्होंने कहा कि बेंगलूर स्थित यू.  एन. आई बिल्डिंग को सरकार द्वारा अपने कब्जे में लेना एक सरहनीय कदम है क्योंकि वहां भी ये जोड़ी इसी खरीद फरोख्त में जुटे थी और सरकारी नियमों के विरुद्ध कार्य कर रहे थे। ऐसी स्थिति में संस्थान की चल अचल सम्पति की रक्षा तथा कर्मचारियों के हितों में रिसीवर नियुक्त किया जाना ही विकल्प रह गया है। कई सांसद भी इसके लिए केंद्र सरकार से अनुरोध कर चुके है।


प्रवक्ता ने कहा कि इन मांगों को लेकर मूवमेंट वर्षों से संघर्षरत है । कई धरना-  प्रदर्शन हो चुके है। इससे और तेज़ करने का निर्णय लिया गया है।


Popular posts from this blog

मुखिया बनते ही आन्ति सामाड ने पंचायत में सरकारी योजनाओं के लिये लगाया शिविर

झारखंड हमेशा से वीरों और शहीदों की भूमि रही है- हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री झारखंड

समय की मांग है कि जड़ से जुड़कर रहा जाय- भुमिहार महिला समाज।