फेसबुक नहीं बुक लिखें युवा पीढ़ी : बुद्धिनाथ मिश्र
सोशल मीडिया के आने से लिखने के अवसर बढ़े हैं। लोग लगातार लिख रहे हैं और चूंकि वहां कोई संपादक नहीं है इसलिए वह सीधे प्रसारित हो रहा है। मैं आज सब खासकर युवा पीढ़ी को आगाह कर रहा हूं कि आप फेसबुक को छोड़कर बुक (पुस्तक) लिखें। यह सच है कि फेसबुक लाइक देखकर आप खुश हो जाते हैं कि आपके लिखे को इतने लोगों ने लाइक किया। लेकिन सच यह है कि ज्यादातर लोग बिना पढ़े आपके लिखे को लाइक कर रहे हैं।यह प्रसन्नता का विषय नहीं है। यह उद्गार सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ बुद्धिनाथ मिश्र ने व्यक्त किए।
मिश्र मैथिली साहित्य महासभा (मैसाम) और मैथिली भोजपुरी अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पंचम विद्यापति स्मृति व्याख्यान एवं मैसाम युवा सम्मान 2019 के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारे देश और खासकर मिथिला में कभी पेयजल कोई कमी नही थी लेकिन आज शुद्ध पेयजल उपलब्ध नही है। नदियां सूख रही है। तालाब सूख रहे हैं। इन्हें बचाने की जरूरत है।
कार्यक्रम में वरिष्ठ मैथिली साहित्यकार प्रदीप बिहारी ने अपने उद्बोधन में कहा जल प्रबंधन अंतर्राष्ट्रीय विषय है। इस पर चर्चा हो। लोग जागरूक हो। मैथिली साहित्य में इस विषय पर खूब लिखा गया है लेकिन दुखद यह है कि जिस मिथिला की पहचान मछली , पान और मखाना की वजह से थी , वहां अब अन्य राज्यों से मछलीयां आती हैं। मखाने की उपज भी निरंतर घट रही है। इसकी वजह तलाब (पोखर) का लगातार सूखते जाना है।
मिथिला में कभी कदम - कदम पर तालाब और कुएं थे। वहां कुएं अब समाप्त प्राय हैं या कूड़ेदान में तब्दील हो चुकें हैं। तालाबों की स्थिति भी बेहद दयनीय है । गांवों में भी लोग बोतल बंद पानी पी रहे हैं। कई गांवों में तालाब और कुएं के साथ ही हैंड पंप ने भी काम करना बंद कर दिया है । भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है । यह स्थिति बहुत चिंताजनक है।
प्रदीप ने कहा कि जल प्रबंधन की चिंता पर बृहत स्तर पर लिखे जाने की जरूरत है। इस पर लगातार चर्चा हो। इस मामले में नदियों पर बांध बनाना , समय-समय पर बांधों की ऊंचाई बढ़ाने से भी कई समस्याएं बढ़ी है। बांध के दोनों तरफ के गांव इससे तबाह हो रहे हैं। हालांकि इस विषय पर मैथिली में बहुत कम लिखा गया है। उन्होंने कहा फेसबुक पर लिखने के बजाय बुक लिखें। इस मौके पर दीपक फाउंडेशन के अध्यक्ष दीपक झा ने कहा कि भाषा को बचाना देश की सीमा बचाने से ज्यादा जरूरी है।
इस अवसर पर 'फूजल आंखिक स्वपन' की लेखिका रोमिशा को ' मैसाम युवा सम्मान 2019' से नवाजा गया। इसके लिए ज्यूरी का गठन किया गया था। ज्यूरी में पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एवं लेखक मंत्रेश्वर झा , मृदुला प्रधान और शुभेन्दु शेखर शामिल रहे । तीनों जजों ने 'फूजल आंखिक स्वप्न' को सर्वाधिक अंक दिए। इसकी लेखिका रोमिशा हैं। उन्हें 25000/- रूपये का चेक और प्रशस्ति पत्र आदि भेंट किया गया।
कार्यक्रम में महासभा के तमाम पदाधिकारियों के अलावा मंत्रेश्वर झा, अशोक प्रियदर्शी, उमेश चतुर्वेदी , आशुतोष कुमार सिंह आदि भी उपस्थित रहे।