कुपोषण की चुनौतियों से निपटने के लिये देश भर में राष्ट्रीय पोषण माह की शुरूआत की गई है, जो इस वर्ष सितंबर महीने में मनाया जा रहा है।
महिला और बाल विकास प्रमुख विभाग के एक महीने तक चलने वाले कार्यक्रमों में प्रसव पूर्व देखभाल, एनीमिया, वृद्धि संबंधी निगरानी, लड़कियों की शिक्षा, भोजन, विवाह की सही उम्र, स्वास्थ्य विज्ञान और स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
'स्वास्थ्य के लिए हितकर भोजन खाओ' विषय पर देश भर में खाद्य मेलों, रैलियों, स्कूल स्तर पर चलाए जाने वाले अभियानों, एनीमिया परीक्षण शिविरों, व्यंजन विधियों की जानकारी, रेडियो और टेलीविजन पर बातचीत तथा सेमिनार आयोजित किए जाएंगे।
एक महीने तक चलने वाले कार्यक्रमों के तहत देश से कुपोषण को कम करने और अंततः इसे समाप्त करने के लिए लोगों की राय और उनकी भागीदारी के लिए विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के बीच तालमेल किया जाएगा।
पोषण माह का उद्देश्य लोगों को पोषण के महत्व के प्रति जागरूक करना है और उनके बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं/स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए अतिरिक्त पोषण संबंधी सरकारी सेवाओं तक उनकी पहुंच बनाना है।
इस वर्ष पोषण माह में पांच सूत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया है। 'पहला सूत्र है शिशु के पहले 1000 दिन, एनीमिया, दस्त, हाथ धोना और स्वच्छता तथा पौष्टिक आहार (भोजन की विविधता के साथ पौष्टिक आहार)'।
4 सितंबर को असम, बिहार, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु और राजस्थान में पोषण माह शुरु किया गया।
इस वर्ष राष्ट्रीय पोषण माह का आयोजन 'पोषण त्योहार से व्यवहार' नारे के साथ लोगों के दैनिक जीवन में व्यवहार संबंधी परिवर्तन लाने के लिए एक जन आंदोलन बनाने के उद्देश्य से किया जा रहा है।