आधुनिक जीवन शैली नहीं, पुरानी परंपराओं में है स्वास्थ्य का मूलमंत्र
अच्छे स्वास्थ्य के लिये शहरी लोग चुनिंदा खाने को पसंद करते हैं, तो कहना गलत नहीं होगा। दरअसल इन दिनों ग्रामीण कम मगर शहरी लोग अपने बेहतर स्वास्थ्य के लिये काफी फिक्रमंद रहने लगे हैं। जिसके लिये वह हर खाना को खाने से पहले इस बात के लिये आश्वस्त होते हैं कि खाना कितना सेहतमंद होगा। कहीं शुगर तो नहीं हो जाएगा, या फिर मोटापा, एसिडिटी, वगैरह-वगैरह।
इसके लिये वह कई बार डायटीशियन से भी संपर्क करते हैं, और दिये गये डाइट चार्ट को फॉलो करते हैं। अधिकांश लोग जिम जाते हैं, या फिर समय मिलने पर घर में ही योगा, एक्सरसाईज करते हैं। खाना खाते वक्त इस बात का बखूबी ध्यान रखा जाता है कि उसमें सारे जरूरी पोषक तत्व- प्रोटीन, विटामीन, कैल्शियम और मिलरल्स शामिल हों, जो शरीर को स्वस्थ रखे।
आखिर क्यों आजकल लोग अपनी सेहत को लेकर इतने सचेत रहते हैं, और उन्हें एक डाइट चार्ट की जरूरत पड़ने लगी है ?
इसके जवाब में डायटीशियन दिव्या चड्डा कहती है, कि पुरानी जीवनशैली में लोग अधिक संतुलित खाना खाते थे। घर वाले पारंपरिक रूप से रोटी, सब्जी, दाल चावल, सीजनल फल खाते थे, जिससे लोगों को संतुलित आहार मिलता था।
मगर बदलते वक्त में लोगों के पैसे ज्यादा खर्च हो रहे फिर भी खाने में पोषक तत्वों की कमी हो रही। जीवन स्तर में इजाफे के लिये महिला और पुरूष दोनों ही जॉब करने लगे हैं, वक्त की कमी के चलते किचन में खाना कम बनता है। यह लोग रेस्टोरेंट या होटल का खाना या जंक फूड खाते हैं। कई घरों में तो महिला घर पर रहने के बावजूद घर के काम करना पसंद नहीं करती, और काम वाली पर निर्भर होती हैं।
दिन भर टीवी देखने और मोबाइल पर गप्पें मारने में व्यस्त होती हैं। उनकी देखा-देखी बच्चे भी उन्हें फॉलो करने लगते हैं। इस दिनचर्या से उन्हें लाईफ स्टाईल डिसिस चपेट में लेना शुरू कर देता है। जिसमें मोटापा, डायबिटीज, एसिडिटी जैसी बीमारियाँ है।
जंक फूड को खाने से शरीर में उचित पोषण नहीं मिलता, जिससे अधिकतर लोग एनीमिया, किडनी की समस्या, लीवर की समस्या थायरॉइड आदि से पीड़ित रहने लगे हैं।
ऐसे में डॉ. चड्डा कहती हैं कि "स्वास्थ के लिये जागरूक होना जरूरी है, लेकिन अगर हम अपनी पुरानी परंपराओं को फिर से जीना शुरू करें तो शायद ही स्वस्थ रहने के लिये फिक्रमंद होने की जरूरत होगी। साईकिल की सवारी, पैदल यात्रा, घर के काम स्वयं करना और अपनों के साथ मिलकर पारंपरिक खाना ही व्यक्ति के शरीर में जरूरी पौष्टिक तत्वों की पूर्ति करता है।"