विश्वास , सुरक्षा ओर विकास की नीति से नक्सलवाद का करेंगे जड़ से सफ़ाया - भूपेश बघेल


        छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि, नक्सलवाद ओर आदिवासी इलाक़ों में हमारी नीति विश्वास , सुरक्षा ओर विकास की रही है। इस नीति के ही दम पर हम प्रदेश से नक्सलवाद का जड़ से सफ़ाया करेंगे।  इसके बिना नक्सल समस्या को ख़त्म नहीं कर सकते ।  वे नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित  वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियो की बैठक  में बोल रहे थे । इस बैठक में  वामपंथ उग्रवाद से प्रभावित विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे ।


      बघेल ने कहा कि,प्रदेश सरकार ने वनवासियों को वन अधिकार पत्रों का वितरण कर उन्हें अधिकार संपन्न बनाया। बस्तर के वो स्कूल जो बंद हो चुके थे या नक्सलियों द्वारा तोड़ दिया गया था ,उन्हें पुनः चालू करवाया गया। उन्होंने कहा कि अकेला हमारा बस्तर केरल से बड़ा है । सड़क निर्माण के लिए केंद्र से साठ प्रतिशत मिलता है। नक्सल इलाक़ा होने के कारण यहाँ काम करना कठिन है, इसलिये  100  प्रतिशत राशि योजना पर दिए जाने का आग्रह किया। 


 बघेल ने कहा कि,  पिछले साल की अपेक्षा इस साल प्रदेश में नक्सली घटनाओं में कमी आई है। हमें स्थानीय लोगों को ज़्यादा से ज़्यादा रोज़गार उपलब्ध कराने होंगे । राज्य सरकार इस दिशा में ठोस पहल कर रही है। उन्होंने बताया कि, प्रदेश, पहुंच विहीन गांवों में सड़क सम्पर्क के लिए 'जवाहर सेतू योजना' शुरू की गई। 2 अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर प्रदेश के प्रत्येक ग्राम पंचायत में प्रतिदिन पौष्टिक भोजन निशुल्क देने की शुरूआत की जाएगी। यह कदम कुपोषण एवं एनिमिया की पीड़ा से मुक्ति दिलाने की दिशा में निर्णायक कदम होगा।


वनक्षेत्रों में आजिविका के लिए तेंदूपत्ता संग्रह एक प्रमुख साधन है, इसलिए सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर 25 सौ रुपए प्रति मानक बोरा से बढ़ा कर 4 हजार रुपए कर दी है। यह वर्ष 2019 में वितरित किया गया संग्रहण पारिश्रमिक विगत वर्ष की तुलना में लगभग डेढ़ गुना है।   यही नहीं 'मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना' के तहत आदिवासी बाहुल्य अंचलों में स्वास्थ्य जांच, इलाज तथा दवा वितरण की सुविधा का विस्तार किया जा रहा है, जिसका लाभ विशेषकर सुदूर अंचल में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के लोगों को मिलेगा।   


 वामपंथी उग्रवाद  के प्रभाव वाले इलाक़ों में सड़क संपर्क में सुधार करने के लिए  'सड़क आवश्यकता योजना'   8  राज्यों के   34 जिलो में शुरू की गई थी । छत्तीसगढ़ में योजना के तहत लगभग  साढ़े 1500 किलोमीटर से अधिक की सड़कें बनाई जा चुकी है।


  मुख्यमंत्री बघेल बताया कि, राज्य में आदिवासियों के ख़िलाफ़ फ़र्ज़ी ओर झूठे केसों की वापसी की प्रक्रिया चल रही है। रोज़गार के लिए आदिवासी इलाक़ों में खाद्य प्रसंस्करण केंद्रों की स्थापना, लोहांडीगुंडा में ज़मीन वापसी, अभुजमाँड़  इलाक़े में राजस्व पट्टों का वितरण आदि  कार्य किए जा रहे हैं


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