वह एक सुंदर, अध्ययनशील और परिश्रमी लड़की थी, सेवा भावना ने उन्हें मदर टेरेसा के नाम से मशहूर किया


मदर टेरेसा के अनुसार सेवा का कार्य एक कठिन कार्य है और इसके लिए पूर्ण समर्थन की आवश्यकता है। खुद को लोगों की सेवा में लीन कर देने वाली मदर टेरेसा का नाम कौन नहीं जानता। आज उनका जन्म दिवस है। 26 अगस्त 1910 को स्कॉप्जे में मदर टेरेसा ने जन्म हुआ था।  


स्कॉप्जे अब मेसिडोनिया में है। मदर टेरेसा के पिता निकोला बोयाजू एक साधारण  व्यवसायी थे। मदर टेरेसा का वास्तविक नाम अगनेस  गोंझा बोयाजू था। अल्बेनियन भाषा में गोंझा का अर्थ फूल की कली होता है।


     वह एक सुंदर अध्ययनशील और परिश्रमी लड़की थी। पढ़ाई के साथ साथ गाना उन्हें बेहद पसंद था। ये और इनकी बहन पास के गिरजाघर में मुख्य  गायिकाएं थीं। 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने सिस्टर्स ऑफ लेरेटो में शामिल होने का फैसला ले लिया। वह रोमन कैथोलिक नन थी।


 उन्होंने 1948 में स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता ले ली और 1950 में कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की। 1981 में उन्होंने अपना नाम बदल कर टेरेसा रख लिया और आजीवन सेवा का संकल्प ले लिया। टेरेसा के अनुसार सेवा का कार्य एक कठिन कार्य है और इसके लिए पूर्ण समर्थन की आवश्यकता है।


      मदर टेरेसा की सेवाओं के लिए उन्हें विविध पुरस्कारों एवं सम्मानों से विभूषित किया गया। जिनमें प्रमुख हैं भारत सरकार द्वारा 1962 में मिली पद्मश्री की उपाधि, 1979 को मानव कल्याण कार्यों हेतु नोबेल पुरस्कार। इसी श्रेणी में 2016 में वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को संत की उपाधि से विभूषित किया। 5 सितंबर 1997 को दिल का दौरा पड़ने के कारण कोलकाता में इनका निधन हो गया। 


पाठक मंच के साप्ताहिक कार्यक्रम इंद्रधनुष की 680वीं कड़ी में यह जानकारी दी गई।


 


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