कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में स्त्री-पुरुषों के बीच गैर बराबरी बड़ी बाधा


हाल ही में दिल्ली के विज्ञान भवन में आउटलुक पत्रिका द्वारा आयोजित कुपोषण संगोष्ठी में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि उनकी सरकार छत्तीसगढ़ को कुपोषण के चक्र से मुक्त कराकर सुविकसित ,सुपोषित और स्वस्थ राज्य बनाने का सपना सच करने के लिये कटिबद्ध हैं, लेकिन कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में स्त्री-पुरुषों के बीच की गैर बराबरी एक बड़ी बाधा हैं । पोषण आहार के मामले में इस गैरबराबरी को भी दूर करना होगा।


मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें प्रसन्नता हैं कि हम सुपोषण पर चर्चा करने के लिये इकठ्ठा हुए हैं । आज हमें चांद से ज्यादा जरुरत अपनी धरती पर ही जीवन खोजने की हैं । उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ और देश में कुपोषण की स्थिति चिंताजनक हैं और हमने पिछले छह महीने में न्यूट्रीशन गैप को समाप्त करने के लिये कई कदम उठाये हैं ।


रूपेश बघेल ने आगे कहा- हमारी महत्वाकांक्षी नरवा , गुरवा , घुरवा , बाड़ी योजना में बाड़ी अर्थात किचन गार्डन की बात इसीलिए की हैं ताकि लोगों को उनके घर में ही पौष्टिक भोजन मिले और कुपोषण को दूर करने का इंतजाम घर में ही हो सके । हमने हरेली के परंपरागत त्यौहार को सार्वजनिक अवकाश देकर  उसे स्थानीय व्यंजनों से जोड़ा हैं ।


मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान बाज़ार के अभाव में फल सब्जियों की खेती न छोड़ दे , इसलिए हमने हर ब्लाक में फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की भी योजना बनाई हैं । हम छत्तीसगढ़ में यूनिवर्सल स्वास्थ्य योजना लागू करने की दिशा में भी कार्य कर रहे हैं ।


इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने बताया कि मिड डे मील में अंडा एक बड़ी जरूरत हैं , अंडे की पौष्टिकता निर्विवाद हैं , हमने इसे छत्तीसगढ़ में प्रारंभ किया और जनता का भरपूर साथ मिला । हमने उन बच्चों के लिये भी वैकल्पिक इंतजाम किये जो अंडा नहीं खाते हैं।


 कुपोषण के खिलाफ लड़ाई के कई आयाम हैं , अगर गैरबराबरी चुनौती हैं तो गरीबी , पौष्टिकता के ज्ञान  और राजनीतिक इरादों का अभाव भी बड़ी चुनौती हैं। विज्ञान भवन में आयोजित इस संगोष्ठी में पोषण के क्षेत्र में कार्य करने वाली अनेक अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय संस्थाओं के विशेषज्ञ उपस्थित थे।


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