खास मच्छर से बचे तो इस मौसम रहेंगे डेंगू और चिकनगुनियां से दूर
बारिश के मौसम के बीच लोगों को एक और डर सताने लगता है, कि कहीं हम डेंगू या चिकनगुनियां से पीड़ित न हो जाएं, क्योंकि दोनों ही सूरत में शरीर काफी तकलीफ झेलता है, और कई बार जान पर भी बन आती है।
बीते कई सालों से डेंगू और चिकनगुनियाँ बरसात के मौसम में परेशानी लेकर आता रहा है। पिछले साल भी इसके कई मामले आए, जिससे सीख लेते हुए बीते वर्ष सरकार ने पोस्टरों के जरिये जागरूकता अभियान भी चलाया, लेकिन बरसात के इस मौसम में यह बीमारी कितनों को अपनी चपेट में लेगा कहना मुश्किल है। इसलिये जरूरी है कि कुछ खास बातों पर अभी से ध्यान दिया जाय।
इस बारे में डॉक्टर सुनील कुमार कहते हैं- जिनके शरीर की प्रतिरोधी क्षमता कमजोर होती है, वो अक्सर बदलते मौसम के बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। ऐसी कई तरह की बीमारी है, जो बदलते मौसम के साथ हमें संक्रमित करती हैं। इनमें सामान्य बुखार, डेंगू, चिकनगुनियाँ, वायरल और स्वाईन फ्लू आदि है।
लोग वायरल फीवर और डेंगू में फर्क नहीं समझ पा रहे, जिसकी वजह से सामान्य बुखार आने पर भी कई आशंकाओं से घिर जाते हैं। डॉक्टर कुमार कहते हैं कि हमारे यहाँ खासकर दिल्ली जैसी जगह में मौसम तीन-चार बार बदलता है, और इसी के साथ वायरल भी इतनी ही बार होता है।
वायरल का असर एलर्जिक पेशेन्ट पर ज्यादा होता है, जैसे दमा, डायबीटीज व गर्भवति महिलाओं पर वायरल फीवर का असर जल्दी देखने को मिलता है। इन्फ्लुएंजा भी इसी तरह प्रभावित करता है। इन दिनों वायरल एवं डेंगू बुखार से कई लोग परेशान हो रहे हैं। बुखार होने पर लोग यह तय नहीं कर पा रहे कि यह वायरल है, या डेंगू।
जबकि शुरूआत में दोनों बुखार एक जैसे ही होते हैं। आम आदमी के लिये इनमें फर्क कर पाना बहुत मुश्किल होता है। आमतौर पर वायरल बुखार ठीक होने में 3 से 5 दिन का समय लगता है, जबकि डेंगू से ठीक होने में एक हफ्ते का वक्त लगता है।
वायरल में तीन से पांच दिनों तक बुखार रहता है, जिसमें पारासीटामोल का प्रयोग करना सही होता है। बुखार नहीं उतरने की स्थिति में ही एंटीबायोटिक के इस्तेमाल करने की जरूरत होती है, अन्यथा नहीं।
लक्षणों से समझें
चिकनगुनिया एक प्रकार की वायरल बीमारी होती है जो खासकर एडीज मच्छर के काटने से होता है। इसके लक्षणों मे सर में दर्द होना, ठंड लग कर बुखार का आना,जोड़ों में दर्द, कमजोरी का होना, भूख की कमी, शरीर में चकत्ते दिखाई देना, उल्टी होना, जोड़ों में सूजन होना आदि है।
इसी तरह डेंगू बुखार का पता टेस्ट के बाद ही चलता है। डेंगू में सबसे अधिक प्लेटलेट्स का ध्यान रखना होता है। इसमें किसी भी सूरत में डिहाईड्रेशन नहीं होना चाहिये। मरीज को पानी, जूस आदि देते रहना होता है।
अगर ब्लीडिंग नहीं हो, ब्लड प्रेशर ठीक हो तो 50 हजार प्लेटलेट्स में भी घबड़ाने की जरूरत नहीं है, मगर ब्लीडिंग होने पर प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ जाती है।
बुखार के बाद कमजोरी दूर करने के लिये अच्छा और पौष्टिक खाना खाएँ। संतुलित भोजन करें। अपने शरीर की बीमारियों से लड़ने की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाएँ।
डेंगू तो मच्छर के काटने से ही होता है। अमूमन ये मच्छर दिन में काटते हैं, मगर अब रात में भी तेज रोशनी के चलते मच्छर काटने लगे हैं। ये मच्छर अधिक ऊँचाई तक नहीं उड़ते।
चिकनगुनियां और डेंगू से बचाव के बारे में यही कहा जा सकता है कि अगर हम मच्छर से बचे रहेंगे तो डेंगू से बचे रहेंगे। इससे बचने के लिये एक आदमी या सरकार के ही प्रयास करने की जरूरत नहीं है, बल्कि हम सब की जिम्मेदारी है कि सब मिलकर सफाई करें।
अगर हमारा घर साफ है, और पड़ोस में गंदगी है, तब भी हम उसके प्रभाव से बच नहीं पाएँगे। सावधानी के लिये सफाई रखें, पानी नहीं जमा होने दें। अगर हम सब मिलकर लड़ें, तो इन मौसमी बीमारियों से बचा जा सकता है।