प्रकृति संरक्षण से जुड़ा है मानव अस्तित्व


प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को विश्व प्रकृति दिवस मनाया जाता है। इस दिन दुनियां के देश प्रकृति संरक्षण के लिये किये जा रहे प्रयासों पर चिंतन करते हैं। विश्व प्रकृति दिवस मनाने का उद्येश्य विलुप्त होते जीव जंतु और वनस्पति की रक्षा का संकल्प लेना है। प्रकृति संरक्षण का समस्त प्राणियों के जीवन तथा इस धरती के समस्त प्राकृतिक परिवेश से घनिष्ठ संबंध है, मगर प्रदूषण के कारण सारी पृथ्वी दूषित हो रही है, जो बड़े खतरे का संकेत दे रहा है। इसी स्थिति को ध्यान में रखकर 1992 में ब्राजील में पृथ्वी सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें विश्व के 174 देशों ने भाग लिया। । इसके पश्चात 2002 में जोहान्सबर्ग में भी पृथ्वी सम्मेलन आयोजित कर विश्व के सभी देशों को पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने के लिए अनेक उपाय सुझाए गए।


वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कई प्रजाति के जीव जंतु एवं वनस्पति विलुप्त हो रहे हैं।  ध्यान देने वाली बात है कि जल, जंगल और जमीन, इन तीन तत्वों के बिना प्रकृति अधूरी है, और प्रकृति के बिना मनुष्य जीवन संभव नहीं है।


विश्व में सबसे समृद्ध देश वही हुए हैं, जहां यह तीनों तत्व प्रचुर मात्रा में हो। संपूर्ण विश्व में बड़े ही विचित्र तथा आकर्षक वन्य जीव पाए जाते हैं। हमारे देश में भी वन्य जीवों की विभिन्न और विचित्र प्रजातियां पाई जाती हैं। इन सभी वन्य जीवों के विषय में ज्ञान प्राप्त करना केवल कौतूहल की दृष्टि से ही आवश्यक नहीं है, वरन् यह काफी मनोरंजक भी है। भूमंडल पर सृष्टि की रचना कैसे हुई, सृष्टि का विकास कैसे हुआ और उस रचना में मनुष्य का क्या स्थान है? प्राचीन युग में अनेक भीमकाय जीवों का लोप हो गया और उस दृष्टि से क्या अनेक वर्तमान वन्य जीवों के लोप होने की कोई आशंका है? मानव समाज और वन्य जीवों का पारस्परिक संबंध क्या है? यदि वन्य जीव भूमंडल पर न रहें, तो पर्यावरण पर तथा मनुष्य के आर्थिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ेगा? तेजी से बढ़ती हुई आबादी की प्रतिक्रिया वन्य जीवों पर क्या हो सकती है? आदि प्रश्न गहन चिंतन और अध्ययन के हैं। इसलिए भारत के वन व वन्य जीवों के बारे में जानकारी आवश्यक है, ताकि लोग भली भांति समझ सकें कि वन्य जीवो का महत्व क्या है और वे पर्यावरण चक्र में किस प्रकार मनुष्य का साथ देते हैं।


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