7 जुलाई 1896 को हुई भारत में सिनेमा की शुरुआत

भारत में सिनेमा की शुरूआत का श्रेय लुमियर भाइयों को जाता है। दरअसल, फ्रांस की राजधानी पेरिस लुमियर भाइयों का जन्म एक फोटोग्राफर के यहां हुआ था। इन भाइयों ने 1894 में सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक एडिशन द्वारा आविष्कृत सिनेटोस्कोप देखा और 13 फरवरी 1895 को एक प्रोजेक्टर तैयार की। 22 मार्च 1895 को एक फिल्म तैयार कर सोसायटी फॉर इंकरेजमेंट ऑफ नेशनल इंडस्ट्री के सदस्यों के सम्मुख इसका प्रदर्शन किया। इन भाइयों ने इस कला को सिनेमैटोग्राफ का नाम दिया। ये कला इसी नाम से चल रही है।


     20 फरवरी 1896 को इन भाइयों ने इस कला का प्रदर्शन लंदन में किया। भारत में 7 जुलाई 1896 को तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नर ने सारी सामग्री मंगवा कर बंबई के वॉटसन होटल में अपने मित्रों को फिल्म दिखाई। टाइम्स ऑफ इंडिया इस घटना को सदी का चमत्कार कहा। भारत में फिल्म प्रदर्शन की शुरुआत यहीं से हुई। इसलिये भारत में सिनेमा स्थापना का श्रेय लुमियर भाइयों को जाता है।



     1913 में दादा साहब फाल्के ने भारत की पहली सिनेमा राजा हरिश्चंद्र बनाई। अपनी इस योगदान के कारण दादा साहब फाल्के भारतीय सिनेमा के पितामह कहलाए। राजा हरिश्चंद्र का प्रदर्शन भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पहल था। एक महान व्यवसायिक प्रेरणा भरी सफलता थी। प्रारंभ में सिनेमा, श्वेत श्याम होती थी। कालांतर में बोलती सिनेमा के बाद रंगीन सिनेमा का आविष्कार हुआ।       


   उपर्युक्त जानकारी गैर सरकारी संस्था दर्शन मेला म्यूजियम डेवलपमेंट सोसायटी की प्रमुख उपलब्धि पाठक मंच के साप्ताहिक कार्यक्रम इंद्रधनुष की 673 वीं कड़ी में दी गई।


 


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