हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है : महाशिवरात्रि
नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया से सम्मानित गैर सरकारी संस्था दर्शन मेला म्यूजियम डेवलपमेंट सोसायटी की प्रमुख उपलब्धि ‘पाठक मंच‘ के साप्ताहिक निःशुल्क कार्यक्रम ‘इन्द्रधनुष‘ की 655वीं कड़ी में बताया गया कि “फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था। कई स्थानों में यह भी माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव का विवाह हुआ था।
तीनों भुवनों की अपार सुंदरी तथा शीलवती गौरी को अर्धांगिनी बनाने वाले शिव प्रेतों व पिशाचों से घिरे रहते हैं। उनका रूप बड़ा अजीब है। शरीर पर मसानों का भस्म, गले में सर्पों का हार, कंठ में विष, जटाओं में जगत-तारिणी पावन गंगा तथा माथे में प्रलयंकर ज्वाला है। बैल को वाहन के रूप में स्वीकार करने वाले शिव अमंगल रूप होने पर भी भक्तों का मंगल करते हैं और श्री-संपत्ति प्रदान करते हैं।
एक बार पार्वती जी ने भगवान शिवशंकर से पूछा, ‘ऐसा कौन-सा श्रेष्ठ तथा सरल व्रत-पूजन है, जिससे मृत्युलोक के प्राणी आपकी कृपा सहज ही प्राप्त कर लेते हैं?‘ उत्तर में शिवजी ने पार्वती को ‘शिवरात्रि‘ के व्रत का विधान बताकर एक कथा सुनाई--‘एक गांव में एक शिकारी रहता था। पशुओं की हत्या करके वह अपने कुटुम्ब को पालता था। शिवरात्रि में उसने व्रत किया, भगवान शिव की अनुकंपा से उसका हिंसक हृदय कारुणिक भावों से भर गया। वह अपने अतीत के कर्मों को याद करके पश्चाताप की ज्वाला में जलने लगा। उसके नेत्रों से आंसुओं की झड़ी लग गई। शिकारी ने अपने कठोर हृदय को जीव हिंसा से हटा, सदा के लिए कोमल एवं दयालु बना लिया। घटना की परिणति होते ही देवी-देवताओं ने पुष्प-वर्षा की।“