दिल की बीमारी ने 30 वर्षीय गर्भवती महिला की जान को जोखिम में डाला, मल्टी-स्पेशलिटी विशेषज्ञों ने बचाई दो जानें

● आकाश हेल्थकेयर सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी, गायनोकोलॉजी, नियोनेटोलॉजी और पीडियाट्रिक्स विशेषज्ञों ने साथ आकर दो सफल सर्जरी कर उन्हें दिया नया जीवन


नई दिल्ली, 5 मार्च, 2019


सुनंदा शर्मा (परिवर्तित नाम), 30, शहर के एक अस्पताल में आई तो डॉक्टरों की टीम के सामने कई चुनौतियां खड़ी हो गई। गर्भावस्था के अंतिम चरण में दिल की बीमारी ने माँ और अजन्मे बच्चे के जीवन के लिए  गंभीर खतरा पैदा कर दिया था। सुनंदा को आकाश हेल्थकेयर में ऐसे समय में भर्ती कराया गया जब रोगी और गर्भ में उनका बच्चा, दोनों जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे थे और डॉक्टरों के लिए यह सबसे चुनौतीपूर्ण काम था। दो जिंदगियां संकट में थीं और किसी भी तरह की देरी घातक हो सकती थी। डॉक्टरों की एक मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम ने तत्काल सक्रियता दिखाई  और दोनों की जान बचाई। विशेषज्ञों ने पहले शिशु के जीवन को बचाया और माँ के जीवन को बचाने के लिए एक जोखिम भरी हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी की।


सात साल पहले सुनंदा की हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट (माइट्रल हार्ट रिप्लेसमेंट) सर्जरी हुई थी और उनके मेटालिक हार्ट वॉल्व पर थक्का बनने से रोकने के लिए उन्हें खून को पतला करने के लिए आजीवन सख्त दिनचर्या अपनाने को कहा गया था। पिछले साल उनका गर्भधारण हुआ और प्रसूति जनवरी-2019 की शुरुआत में अपेक्षित थी। जनवरी की शुरुआत से उन्होंने बच्चा होने के अतिउत्साह में खून को पतला करने की दवा लेना बंद कर दिया और अपने दिल की स्थिति को भूल ही गई।


अचानक उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी। रेवाड़ी के एक स्थानीय अस्पताल में दिल के शुरुआती परीक्षणों में पता चला कि उनके मेटालिक हार्ट वॉल्व में खून के थक्के बन गए हैं और उसने काम करना बंद कर दिया है। यह एक जानलेवा स्थिति है, जिसमें दुनिया भर के सबसे अच्छे अस्पतालों में भी जीवित रहने की संभावना 50% ही बचती है। तुरंत उन्हें दिल्ली में आकाश हेल्थकेयर लाया गया। वह इमरजेंसी रूम में पहुंचीं, तब उनका ऑक्सीजन लेवल बहुत कम था। उन्हें और उनके गर्भ में पल रहे शिशु की जान बचाने के लिए तत्काल वेंटिलेटर पर रखा गया। उनकी मेडिकल हिस्ट्री से हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी का खुलासा हुआ और डॉक्टरों ने यह भी पता लगा लिया कि उन्होंने खून को पतला करने वाली दवाएं लेना बंद कर रखा है।


उनकी स्थिति को फेफड़े में पानी के साथ दिल के मेटालिक वॉल्व के अटक जाने (पल्मोनरी एडिमा) के तौर पर डायग्नोज किया गया। वेंटिलेटर का सहारा होने के बाद भी उनके शरीर का ऑक्सीजन स्तर काफी कम था। सबसे पहले कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डॉ. गौरव और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. सुमन बनर्जी और डॉ. ऋचा गुप्ता के नेतृत्व वाली टीम ने आपातकालीन सिजेरियन सर्जरी को अंजाम दिया और सफल प्रसूति कराकर शिशु की जान बचाई।


डॉ. गौरव जैन और डॉ. मीना के नेतृत्व में नियो-नेटोलॉजिस्ट की एक और टीम ने संभावित लॉजिस्टिक्स और शिशु का जन्म कराने वाले विशेषज्ञों समेत सहयोगी स्टाफ के साथ शिशु के जन्म का इंतजार किया।


डॉ. गौरव जैन के अनुसार, "भले ही यह प्रसव सफल था लेकिन शिशु रो नहीं रहा था और इससे हर कोई चिंतित था और इस समय तक रोगी के दिल ने काम करना बंद कर दिया था। अगले चंद मिनटों में, पूरी टीम ने नवजात शिशु में जीवन वापस लाने के लिए कई प्रयास किए परंतु कोई फायदा नहीं हुआ। अगले कुछ दिन आकाश हेल्थकेयर की अत्याधुनिक नवजात गहन देखभाल इकाई के लिए बेहद महत्वपूर्ण थे। सतत निगरानी और लगातार प्रयासों के बाद शिशु ने जीवन के संकेत दिखाए।”


इस बीच, प्रसव के बाद 5-6 घंटों के दौरान रोगी के शरीर में ऑक्सीजन की गंभीर कमी और अन्य जटिलताओं के कारण मां की हालत खराब हो गई। विशेषज्ञों के अनुसार उनके बचने की संभावना बहुत कम थी।


डॉ. अमरीश कुमार जैसे विशेषज्ञ की मौजूदगी वाली एक बेहद अनुभवी कार्डियक टीम ने सुनंदा की जांच की तब वह बेहद गंभीर स्थिति में थी। तब टीम ने तय किया कि अटके हुए दिल के वॉल्व को ठीक करने के लिए दूसरी हार्ट माइट्रल वॉल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी करना चाहिए और उसे परफॉर्म किया।


डॉ. अभय कुमार ने कहा, “दिल की माइट्रल वॉल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी को फिर से करना एक अत्यंत जोखिम भरा सर्जिकल अभियान था और इस स्तर पर सर्जिकल टेबल पर मौत होने का जोखिम 80 प्रतिशत से अधिक रहता है। यह बात भी परिवार को बताई गई थी।”


टीम ने ऑपरेशन रूम में जब मरीज पर दूसरी हार्ट माइट्रल रिप्लेसमेंट सर्जरी की, तब लगातार तीन बार उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ। ऑपरेशन थिएटर में यह 8 घंटे चली एक लंबी सर्जरी थी। रोगी जब पूरी तरह से स्थिर हुई और तब जाकर उसे गहन चिकित्सा इकाई में वापस लाया गया।


सुनंदा का केस आकाश हेल्थकेयर में अत्यधिक कुशल और अनुभवी डॉक्टरों के उत्कृष्ट मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम के प्रयासों की एक उत्कृष्ट मिसाल प्रस्तुत करता है। मेडिकल, पैरा मेडिकल और सहायक कर्मचारियों की पूरी टीम ने प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए एकजुटता दिखाई।


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