डायमंड सिटी के रूप में मशहूर है सूरत
सूरत, भारत के गुजरात राज्य का एक प्रमुख शहर है। यह सूरत जिले की प्रशासनिक राजधानी भी है। सूरत का पुराना नाम सूर्यापूर भी है। यह शहर के ताप्ती नदी के किनारे बसा है। गुजरात की आबादी के हिसाब से सूरत राज्य की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला शहर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जिस स्मार्ट सिटी को बनाने की योजना शुरू हुई उसमें सबसे पहले सूरत को ही चयनित किया गया। भारत के शहर सिस्टम (एएसआइसीएस) के वार्षिक सर्वेक्षण द्वारा इस शहर को सर्वश्रेष्ठ सिटी' से भी सम्मानित किया गया है।
इतिहास
सूरत के इतिहास को देखें तो भगवान कृष्ण द्वारा मथुरा से द्वारका जाने के क्रम में भी सूरत का नाम आया है। महाभारत में इसका उल्लेख मिलता है। पारसी धर्म को मानने वाले यहां 8वीं सदी में बसने लगे। सन् 1512 में और फिर 1530 में सूरत पुर्तगाली सम्राज्य से तबाह हो गया था। यह पश्चिमी भारत के प्रमुख बंदरगाह के रूप में जाना जाता था। 16वीं सदी के अंत में पुर्तगाली सूरत में समुद्री व्यापार के निर्विवाद स्वामी थे। ताप्ती नदी के तट पर अभी भी 1540 ई0 में बनाया गया एक खूबसूरत किला मौजूद है। सन् 1608 में, अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा जहाजों के जरिये व्यापार तथा पारगमन के रूप में सूरत डॉकिंग शुरु कर दिया गया। ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा मुम्बई और सूरत में एक कारखाने की स्थापना इसी समय एक साथ की गई थी। 1730 में बगदादी यहूदी यूसुफ सेमाह बगदाद से सूरत आ गया और सूरत आराधनालय और कब्रिस्तान की स्थापना की। आराधनालय अब ध्वस्त कर दिया गया है लेकिन कब्रिस्तान और कतार्गम अमरोली मुख्य सड़क पर आज भी देखा जा सकता है। 1759 में सूरत पुनः अंग्रेजो के हाथों में आ गया। इस शहर पर डचों तथा अंग्रेजो के द्वारा वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश हमेशा की जाती रही, क्योंकि यह शहर व्यापारिक दृष्टिकोण से दोनों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण था।
अर्थव्यवस्था
20वीं सदी तक यह शहर जहाज निर्माण, कॉटन मिल्स, ओटाई, कपास, चावल सफाई मिलों और पेपर मिल्स, सिल्क ब्रोकेड और जरी के काम, सोने की कढाई आदि व्यापार के क्षेत्र में फिर से चर्चित होने लगा। 1994 में भारी बारिश और अवरुद्ध नलियों का एक संयोजन से शहर में बाढ़ का आ गई। सड़क से मृत जानवरों और सार्वजनिक बेकार चीजों को समय पर हटाया नहीं गया जिससे प्लेग आदि महामारी से भारी क्षति इस शहर को झेलनी पड़ी। उस समय के दौरान तत्कालीन नगर निगम आयुक्त एस.आर.राय तथा सूरत के लोगों को शहर को साफ करने में बहुत मेहनत करनी पड़ी थी। लेकिन इस सब बाधाओं को पार करके आधुनिक सूरत भारत का एक प्रमुख व्यापारिक केन्द्र के रूप में विकसित शहर का रुप ले चुका है। आज स्थिति ये है कि दुनिया में हीरे काटने और चमकाने के कुल 90 प्रतिशत तथा देश में 99 प्रतिशत काम सूरत में ही होता है। इतना ही नहीं मानव निर्मित कपड़े के उत्पादन में भी सूरत का योगदान 40 प्रतिशत है। सूरत विश्व में एक डायमंड हब तथा सिल्क सिटी के रूप में जाना जाता है। साथ ही सूरत भारत में एमएमएफ (मानव निर्मित फाइबर) का सबसे बड़ा केन्द्र है।
एक आंकड़े के अनुसार सूरत में 381 रंगाई और छपाई मिल और 41,100 पावरलूम की इकाई मौजूद है। कुल मिलाकर सलाना लगभग 5 अरब का व्यापार यहां कपड़ा से संबंधित व्यवसाय से होता है। सूरत में 800 से अधिक थोक कपड़ा व्यापारी है। यह भारत में कपड़े का सबसे बड़ा निर्माता है। यहां का कपड़ा भारत के किसी भी क्षेत्र में पाया जा सकता है। भारत में पॉलिस्टर कपड़े का 60 प्रतिशत निर्माण सूरत में किया जाता है।
सूरत सिफ डायमंड (हीरा) तथा कपड़े उत्पादन के लिए ही नहीं प्रसिद्ध है, बल्कि इसके अलग भी बहुत से कॉरपोरेट सेक्टर हैं जिनसे इसका नाम भारत तथा विश्व में है, जैसे हजीर आईएनए, ओ.एप.जी.सी, गेल, एबीजी शिपयार्ड, नर्मदा सीमेंट, अंबुजा सीमेंट, अल्ट्राटेक सीमेंट, एन.टी.पी.सी. पावर प्लांट, एल एण्ड टी, रिलायंस पावर, रिलायंस पेट्रोलियम, कृभको फर्टिलाइजर, केवर्न इण्डिया लि0, गुजरात गैस, रमा पावर मिल आदि बहुत से ऎसे उद्योग है जो इस शहर में स्थापित हैं व यहां की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अपना योगदान दे रहे हैं।
सूचना क्षेत्र की बात करें तो यहां बहुत सारी घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के कार्यालय स्थित हैं, जिनमें प्रमुख रुप से आईबीएम, टीसीएस, एचसीएल, विप्रो आदि महत्वपूर्ण है। सूरत में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क का उज्जवल भविष्य है। माइक्रोसॉफ्ट ने भारत में शहरों के सतत विकास के लिए तथा प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के लिए बड़ी कंपनियों टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और विप्रो आदि के साथ करार किया है। भारत में पहली स्मार्ट सिटी सूरत में माइक्रोसॉफ्ट सिटी नेक्स्ट पहल द्वारा गठित की जा रही है।
पर्यटन स्थल
इसके साथ ही अन्य बहुत सी ऐसी ऐतिहासिक स्थल हैं, जिससे सूरत का नाम लिया जाता है, जैसे - भारतीय हीरा संस्थान जिसे 1978 में स्थापित किया गया था। यह भारत में हीरे, जवाहरात और आभूषण के क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित संस्थान है। डच गार्डन, प्राचीन डच उद्यान, डच कब्रिस्तान आदि अन्य आकर्षण है। सूरत किला 1616 में अग्रेजों द्वारा बनवाया गया था जिसका प्रयोग अब नगर निगम के कार्यालयों के रुप में होता है। सरदार पटेल संग्रहालय 1968 में स्थापित किया गया था। जवाहर लाल नेहरु गार्डन, इस शहर के सबसे पुराने और बड़े बगीचों में से एक है। शहर के केन्द्र से पश्चिम लगभग 21 कि.मी. दक्षिण में अरब सागर के किनारे स्थित एक दुमस बीच है। सूरत नगर चिडियाघर नेचर पार्क, राज्य में सबसे प्रसिद्ध चिड़िया घरों में से एक है।
संस्कृति और त्यौहार
संस्कृति और त्यौहार की बात की जाये तो सूरत में “घान' (मिठाई का एक प्रकार) प्रसिद्ध है। सड़क के किनारे खोखे, सूरत में काफी लोकप्रिय है। इसके अलावे यहां का खाजा और सुरती भी प्रसिद्ध है। गुजरात के अन्य क्षेत्रों की तुलना में सूरत का व्यंजन काफी मसालेदार होता है। गुजराती में एक पुरानी कहावत है- ''सूरत परमाणु जामन अने काशी परमाणु मारन' अर्थात् सूरत में खाओ और काशी में मरो'।
प्रमुख रुप से यहां नवरात्री, दीपावली, गणेश चतुर्थी जैसे त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाये जाते हैं। मकर संक्रांति के अवसर पर पतंग उड़ान महोत्सव यहां बहुत ही लोकप्रिय है जिसका आयोजन प्रत्येक साल 14-15 जनवरी को किया जाता है।
कुल मिलकार सूरत एक व्यापारिक व वाणिज्यिक शहर के साथ-साथ ऐतिहासिक शहर भी है जिसकी पहचान मुख्यतः डायमंड हब तथा साड़ियों से है, लेकिन इसके अलावा भी कई ऐसी चीजें है जो इस शहर की ओर पर्यटकों को आकर्षित करती है। गुजरात वैसे भी भारत का सबसे समृद्ध प्रान्त है, तथा गुजरात को समृद्ध बनाने में यहां का व्यवसाय तथा यहां के उद्यमी का परिश्रम है जिससे आज गुजरात भारत में ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व के नक्शे पटल पर गर्व के साथ एक विकसित राज्य बनकर अपना सीना तानकर खड़ा है।