13 महीने में पूरी हो जाएँगी नमामि गंगे की वर्तमान परियोजनाएँ- नितिन गडकरी
केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण, सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा नौवहन मंत्री नितिन गडकरी ने आशवासन दिया है कि नमामि गंगे की सभी वर्तमान परियोजनाओं को मार्च, 2020 तक पूरा कर लिया जाएगा। 27 फरवरी 2019 को नई दिल्ली में स्वच्छ गंगा आंदोलन पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि स्वच्छ और अविरल गंगा जल के प्रधानमंत्री के स्वप्न को पूरा करने के लिए वह कठोर परिश्रम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले साढ़े चार वर्षों में गंगा कार्यों के लिए 27,000 करोड़ रुपयों की मंजूरी दी जा चुकी है, जबकि पिछले 50 वर्षों में केवल 4,000 करोड़ रुपये दिये गये। अब तक 276 परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी हैं, जिनमें से 82 पूरी हो चुकी हैं। गंगा की 40 सहायक नदियों और प्रमुख नालों पर काम शुरू हो चुका है, जो नदी की पूरी सफाई के लिए आवश्यक होगा। उन्होंने कहा कि 145 में से 70 घाट पूरे हो चुके है और 53 मुक्ति धामों पर कार्य पूरा होने वाला है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि स्वच्छ गंगा मिशन हमेशा से सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में रहा है। इसके परिणामस्वरूप सफल कुंभ देखने को मिला, जहां लोगों ने गंगा जल के स्वच्छ प्रवाह के लिए सरकार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि गंगा हमारे इतिहास, संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक है और यह हजारों मछुआरों, नाविकों और इसके तट पर रहने वाले लोगों की जीवन रेखा है। उन्होंने इस अवसर पर स्वच्छ गंगा कोष (सीजीएफ) में एक लाख रुपये का योगदान दिया।
इस मौके पर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने आश्वासन दिया कि उनका मंत्रालय गंगा नदी की सफाई में हर संभव सहायता देगा। उन्होंने कहा कि ओएनजीसी उत्तराखंड सरकार की मदद से पहले से ही गंगोत्री में नमामि गंगे परियोजना में शामिल है। उन्होंने इस अवसर पर आईओसीएल की ओर से 34 करोड़ रुपये और खुद की ओर से स्वच्छ गंगा कोष में एक लाख रुपये का योगदान दिया। राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और डॉ. सत्यपाल सिंह ने भी इस कोष में एक-एक लाख रुपये का एवं जल संसाधन सचिव यूपी सिंह ने 25,000 रुपये का योगदान दिया।
गौरतलब है कि स्वच्छ गंगा कोष की स्थापना संस्थानों और व्यक्तियों को जोड़ने और उनके योगदान के लिए जनवरी-2015 में एक न्यास के रूप में की गई थी, जिसके केन्द्रीय वित्त मंत्री पदेन अध्यक्ष है। घरेलू स्तर पर सीजीएफ में योगदान करने वाले को आयकर कानून 1961 की धारा 80जी (1)(i) के अंतर्गत आयकर में शत-प्रतिशत छूट मिलती है। सीजीएफ में योगदान सीएसआर कियाकलापों के दायरे में आते है, जिसे कंपनी कानून, 2013 की अनुसूची-VII में परिभाषित किया गया है।
अनेक कॉरपोरेट कंपनियां, बैंक और अन्य संस्थान अलग-अलग तरीके से गंगा संरक्षण का समर्थन कर रहे हैं। येस बैंक ने अपनी शाखाओं पर स्वच्छ गंगा का संदेश देते हुए बैनरों पर तथा अपने एटीएम पर स्वच्छ गंगा संदेश दिखाने का काम शुरू किया है। एचसीएल फाउंडेशन गौतम बुद्ध नगर और उत्तर प्रदेश के अन्य भाग में वन लगाने के कार्यों में सहायता कर रहा है और साथ ही उसने इन्टैक के साथ मिलकर उत्तराखंड में रूद्राक्ष के पेड़ लगाने की परियोजना को भी समर्थन दिया है। भारतीय नौवहन निगम ने पश्चिम बंगाल में कटवा घाट में सुविधाएं प्रदान करने के लिए 35 लाख रुपये की एक परियोजना शुरू की है।
ब्रिटेन की एक कंपनी-इंडोरामा चेरिटेबल फाउंडेशन ने गंगोत्री और बद्रीनाथ में दो घाटों को विकसित करने की परियोजना हाथ में ली है, जिस पर 25.65 करोड़ रूपये का खर्च आएगा। एनडीटीवी ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के सहयोग से उत्तराखंड में गंगा आधारित विषय वस्तुओं पर भित्ति चित्र बनाने की परियोजना शुरू की है। खासतौर पर कुंभ के दौरान रिलाइंस जियो ने अपने नेटवर्क, सिनेमाओं और बैनरों पर गंगा के संदेश दिखाने शुरू किये। गंगा को स्वच्छ और स्वस्थ रखने के लिए सभी लोगों से अपील के साथ स्वच्छ गंगा संदेश प्रमुख बैंको जैसे एसबीआई, यूबीआई, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, येस बैंक और एक्सिस बैंक के एटीएम नेटवर्क पर दिखाई देते है।
इन मंत्रियों ने वाराणसी में इलेक्ट्रॉनिक गंगा तारिणी अथवा तैरते गंगा संग्रहालय और गंगा दर्पण अथवा सारनाथ में विवेचना केन्द्र की शुरूआत की। गंगा तारिणी गंगा नदी पर पहली चलती-फिरती प्रदर्शनी है और इसे वाराणसी में एक हाउसबोट में लगाया गया है। गंगा के पारिस्थितिकीय और सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों को जीवंत बनाते हुए एक प्रदर्शनी लगाई गई है, ताकि लोगों को गंगा के महत्व और उसके संरक्षण की आवश्यकता समझायी जा सके।
प्रसून जोशी द्वारा तैयार और शंकर महादेवन द्वारा गाये गये गीत ‘कर्त्तव्य गंगा अभियान’ को इस अवसर पर जारी किया गया है, जिसे दर्शकों ने बेहद सराहा।
स्वच्छ गंगा कोष को समर्थन देने और एनआरआई से जोड़ने के लिए ‘प्रवासी गंगा प्रहरी कार्यक्रम’ की शुरूआत की गई। कार्यक्रम की एक अन्य विशेषता के रूप में विदेशी नागरिकों की गंगा के संरक्षण में दिलचस्पी देखने को मिली। मुम्बई के व्यवसायी और कुछ व्यक्तियों के एक समूह ने 1.35 करोड़ रुपये का योगदान दिया और कार्यक्रम के दौरान विभिन्न घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय लोगों से अतिरिक्त धनराशि प्राप्त हुई। भारतीय वन्य जीव संस्थाओं के सदस्यों और समूचे विभाग ने स्वच्छ गंगा कोष में एक दिन का वेतन दिया है। इस अवसर पर गंगा के जलचरों पर पुस्तकें ‘बायोडायवर्सिटी प्रोफाइल ऑफ द गंगा रिवर’ और ‘कन्जर्वेशन रेफरेन्स गाइड’ भी जारी की गई।
राज्यसभा सांसद हेमा मालिनी, और सुप्रसिद्ध बॉक्सर मैरी कॉम, सीबीएफसी अध्यक्ष प्रसून जोशी और अनेक अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने राष्ट्र से अपील की कि वे स्वच्छ गंगा कोष में योगदान दें और निर्मल और अविरल गंगा के नेक मिशन में सहायता करें।