क्या दूध का सैचुरेटेड फैट है हानिकारक ?


दूध कैल्शियम के स्रोत के साथ ही शरीर व दिमाग के लिये अमृत समान है। इसे सम्पूर्ण आहार माना गया है। हमारे देश के ज्यादातर घरों में परिवार के सभी सदस्य स्वस्थ रहने के लिये दूध का सेवन करते है। यह एक आदत बनकर हमारे जीवन में शामिल है। यही वजह है कि कई बार बाजार में मिल रहे पैक्ड दूध में मिलावट की खबरें आईं, लोग चौकन्ने भी हुए मगर दूध का सेवन पुनः करने लगे।


दूध को लेकर चिकित्सा विशेषज्ञों ने अलग-अलग विचार रखे हैं। कोई इसे अच्छे स्वास्थ्य के लिये उत्तम कहते हैं तो कुछ मामलों में दूध को स्वास्थ्य के लिये गैरजरूरी भी माना गया है। इसका कारण दूध में मौजूद कुछ तत्व हैं जो सेहत को नुकसान पहुँचाते हैं।


खासकर हमारा दिल इससे विशेष रूप से प्रभावित होता है। इस बारे में वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. जे.पी.एस. साहनी का कहना है कि देश में हृदय रोगियों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है, जिसमें कार्डियोवास्कुलर डिसिस को नम्बर वन किलर के नाम से जाना जाता है, जिसकी वजह से स्ट्रोक एवं हृदयाघात होता है। यह मुख्यतः आर्टरीज के ब्लॉक होने से होता है। आर्टरीज के ब्लॉक होने का मुख्य कारण वहाँ कोलेस्ट्रॉल का जमा होना है।  कोलेस्ट्रॉल दो रूप में हमारे शरीर में अपनी मौजूदगी दर्ज करता है। एक अच्छे रूप में और दूसरा बुरे रूप में।


डॉक्टर साहनी के अनुसार जहाँ खराब कोलेस्ट्रॉल के रिस्क फैक्टर अनियमित जीवनशैली है वहीं ये कई बार खाने पीने की चीजों द्वारा भी हमारे शरीर में पहुँच जाता है। चूँकि खराब कोलेस्ट्रॉल का उत्पादन लिवर करता है इसलिये जिन खाने को हम जानवरों से प्राप्त करते हैं वो हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाकर खतरे का काम करता है। इनमें दूध, मांस, मछली, अंडे और दूध से बनी चीजें है। वो कहते हैं कि दूध हमें प्राणियों से मिलता है जिनमें कोलेस्ट्रॉल होता है और उसके अधिक सेवन से मानव शरीर में इसका लेवल बढने की संभावना अधिक होती है।


इसके साथ ही दूध में सैचुरेटेड फैट भी होता है जो काफी हानिकारक है। डॉक्टर साहनी कहते है कि हमारे देश में दूध को लेकर यह मिथ्या है कि अगर दूध नहीं पिएँगे तो शरीर को कैल्शियम कहाँ से मिलेगा जबकि सच्चाई कुछ और है। कैल्शियम शरीर में तब मिलेगा जब विटामिन डी की मौजूदगी होगी और वो सूर्य की रोशनी से मिलती है।


जहाँ तक दूध में कैल्शियम के होने की बात है तो डा. साहनी कहते हैं कि भारतीय खाने में और भी बहुत सारी चीजें हैं जिनमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम, विटामिन और आयरन मौजूद हैं जिनका इस्तेमाल हम स्वस्थ रहने के लिये कर सकते हैं। उनमें फल, सब्जियाँ, दालें, अनाज, चावल, गेहूँ, बाजरा, सोयाबीन और मेवे हैं। मेवा तो अपने आप में सम्पर्ण आहार के रूप माना जाता है, क्योंकि इसमें सभी प्रकार के पौष्टिक तत्व मौजूद होते है।


जहाँ तक दूध का सवाल है, लगभग बीस से तीस प्रतिशत लोगों में लेक्टोस इन टोलरेंस के होने से उन्हें दूध पीने से पेट में गैस और पेट खराब की शिकायत होती है। कई लोगों में दूध से एलर्जी होने से उन्हें नजला, जुकाम की भी परेशानी होती है। दूध की वजह से कई लागों में एनिमिया की भी शिकायत होती है।


बावजूद इसके हमारे खाने- पीने में शुरू से ही दूध को पौष्टिक आहार के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है इसलिये दूध की आदत को नकारा नहीं जा सकता।  डॉ. साहनी के अनुसार हम सोयाबीन के दूध का इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर उससे बनी चीजों का हम खाने में प्रयोग कर सकते हैं।


बाजार में मिल रहे दूध में मिलावट के कई मामले सामने आते रहते हैं जिनमें कुछ हारमोन को इंजेक्ट करके दूध को बढ़ाया जाता है जिनमें कई जानवरों के हरमोन्स मिले होते हैं। डा. साहनी के अनुसार ये दूध बहुत नुकसानदेह होता है। बाजार में मिल रहे दूध में टोन्ड दूध और उससे बना सामान खाने में शामिल किया जा सकता है।


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