अगस्त से जीवन और मृत्यु का नाता है चाचा चौधरी के रचयिता का


समय बीतने और बदलने के दौरान बचपन, जवानी और बुढ़ापे की जीवनशैली में बहुत बदलाव आ गया है। बचपन ने खिलखिलाना छोड़ दिया, जवानी पैसे की दीवानी हो गई और बुढ़ापा आसरे की तलाश मे है। 21वीं सदी के इस भारत में बदलाव शायद ही किसी को पसंद आ रहा है।


दोष सोशल मीडिया का कितना है, कह नहीं सकते, क्योंकि इस बदलाव को हम सबने इतनी जल्दी स्वीकार कर लिया कि जैसे पुरानी बातें, आदतें परियों की कहानी सी हो गई। उन्हीं में से एक कहानी है, चाचा चौधरी की। वो लोग जो आज 40-50 की उम्र जी रहे हैं, अपने बचपन में झांके तो उन्हें भी चाचा चौधरी बखूबी याद होंगे।


 कार्टून से सजे चरित्र एवं संवाद से रचित कॉमिक्स,जिसे हम चाचा चैधरी के नाम से जानते थे, किसी समय में बेहद लोकप्रिय रहा। क्या बच्चे , और क्या बड़े, सबके लिये वो कामिक्स मनोरंजन का मसाला था। इस कॉमिक्स के सारे पात्रों में एक सजीवता थी।


कम्प्युटर से भी तेज दिमाग वाले चाचा चौधरी कॉमिक्स के साथ पढ़ने वालों के भी सारी समस्याओं का समाधान कर देते थे। उनपर भरोसा इतना था कि इन दिनों टीवी पर चल रहे लोकप्रिय धारावाहिक 'सीआइडी' भी मुश्किलों का हल इतनी तेजी से नहीं निकाल पाते हैं। उस कॉमिक्स का एक पात्र साबू चिराग के चिन्न की तरह काम करता जिस पर सिर्फ चाचा चौधरी का ही वश चलता था।


एक पात्र चाची भी कम दिलचस्प नहीं थी, अपने तेज दिमाग से सबको नाकों चने चबाने वाले चाचा चौधरी चाची के सामने बिल्कुल शांत नजर आते थे या भीगी बिल्ली कहें तब भी चलेगा। कॉमिक्स के अन्य पात्रों जैसे पिंकी, बिल्लू ने भी खूब गुदगुदाया।



अचानक अपने बचपन में जाकर इस कॉमिक्स को याद करने के पीछे का सच उस महान कार्टूनिस्ट को याद करना है जो अब हमारे बीच नहीं हैं। चाचा चौधरी को बनाने वाले महान कार्टूनिस्ट प्राण ने 5 अगस्त 2014 को दुनियाँ से विदा ले लिया।  वो कैसर से पीड़ित थे।


प्राण का जन्म 15 अगस्त 1938 को लाहौर में हुआ था। उन्होने मध्यप्रदेश से अपनी शिक्षा परी की। उसके बाद मुंबई के जे जे आर्ट ऑफ स्कूल से आगे की पढाई की। 60 के दशक में दिल्ली से प्रकाशित होने वाले अखबार 'मिलाप' में बतौर कार्टूनिस्ट प्राण ने अपने कैरियर की शुरूआत की। उन्होने दस भाशाओं में 500 से ज्यादा कॉमिक्स लिखे। उन्हें भारतीय चित्रकथा का वॉल्ट डिज्नी भी कहा जाता है।


सबसे पहले हिंदी बाल पत्रिका लोटपोट में चाचा चैधरी के किरदार को जगह दी गई जो काफी मशहूर हुआ। बाद में चाचा चौधरी नाम से स्वतंत्र किरदार को बतौर कार्टून कामिक्स लाया गया जिसने कार्टून की दुनियाँ में धूम मचा दी। उसके बाद डायमंड पॉकेट बुक्स के लिए प्राण ने और भी कई मशहूर चरित्रों का चित्रण किया, जिनमें बिल्लू, श्रीमतीजी, रमन आदि रहे।


प्राण का पूरा नाम प्राण कुमार शर्मा था। अपने पात्रों के जरिए प्राण ने लोगों के दिल में कभी न मिटने वाली अपनी ऐसी छाप छोडी है, जिससे उनके रचित चरित्र लोगों को हमेशा उनकी याद दिलाते रहेंगे। कभी लाखों की प्रति छपने वाली कॉर्टून कॉमिक्स, 'चाचा चैधरी' अब लगभग दस हजार पर सिमट गई है।


संचार जगत में क्रांति ने बाल पत्रिकाओं एवं कॉमिक्स की मांग कम कर दी है, क्योंकि ये सारी चीजें बच्चों को कम्प्युटर, टीवी और मोबाईल पर ही देखने के लिए मिल जाती हैं, फिर भी आज की दुनियां प्राण की बनाई दुनियां से ज्यादा खूबसूरत नहीं है। 


 


 


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